शनिवार रात हुई हिंसक झड़पों के बाद आरआरएफ, पीएसी व अन्य सुरक्षा बलों को चप्पे-चप्पे पर तैनात कर दिया गया है। रविवार को कस्बे में कर्फ्यू जैसा माहौल है। पुलिस ने हिंसक घटना को लेकर दो पत्रकारों समेत डेढ़ दर्जन लोगों को हिरासत में लिया है।
जिलाधिकारी संध्या तिवारी ने इस घटना की मजिस्ट्रेट से जांच का आदेश दिया है। उन्होंने जान देने वाली छात्रा और पुलिस की गोली का शिकार हुए व्यक्ति के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये तथा घायलों को एक-एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। उनके आदेश पर बिंवार के थानेदार गिरेंद्र सिंह को निलंबित कर दिया गया है।
गौरतलब है कि शनिवार की सुबह कक्षा बारहवीं की एक छात्रा ने छेड़खानी से अपमानित होने के बाद घर में खुद को आग के हवाले कर दिया था। गंभीर हालत में उसे हमीरपुर सदर अस्पताल लाया गया था, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था।
परिजनों ने बिंवार के एसओ पर रिपोर्ट दर्ज न कर आरोपियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया था। उन्होंने भूरा यादव व जितेंद्र यादव पर छात्रा के साथ राह चलते कई दिन छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसका नतीजा यह हुआ कि उनकी बेटी ने आत्मदाह कर लिया।
पोस्टमार्टम के बाद छात्रा का शव जब परिजनों को सौंपा गया तो परिजन और ग्रामीणों का आक्रोश भड़क गया। शाम होते-होते हजारों लोगों ने बिंवार थाने के बाहर शव रखकर हमीरपुर-राठ मार्ग जाम कर दिया था। देर शाम भीड़ में धक्कामुक्की के बाद सिपाही ने एक युवक की पिटाई कर दी तो ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। पुलिस पर पथराव करने के साथ ही भीड़ ने थाने पर धावा बोल दिया। इसी बीच पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। इससे भीड़ और उग्र हो गई।
भीड़ ने सीओ, एसओ व कई पुलिस अधिकारियों के वाहनों को आग के हवाले कर दिया। पुलिस ने भीड़ को तितरबितर करने के लिए पहले तो अश्रुगैस के गोले दागे, फिर भीड़ पर फायरिंग कर दी।
पुलिस की गोलीबारी में मोहित पाण्डेय (18), रोहित, जयकरन व कल्लू गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों को अस्पताल ले जाया गया, जहां मोहित की मौत हो गई। कल्लू समेत दो लोगों को कानपुर रेफर कर दिया गया है।