कोलकाता, 28 जुलाई (आईएएनएस)। एक प्रख्यात वैज्ञानिक व राष्ट्रपति के रूप में भारत के सबसे शीर्ष पद पर रहते हुए भी ए.पी.जे.अब्दुल कलाम ने समाज के हर तबके के साथ सहानुभूति दिखाई और कभी भी आडंबर का प्रदर्शन नहीं किया। एक मशहूर परमाणु वैज्ञानिक ने यह बात कही।
कोलकाता के वेरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रोन सेंटर (वीईसीसी) तथा साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स (एसआईएनपी) के पूर्व निदेशक विकास सिन्हा ने कहा कि कलाम बेहद मजेदार व्यक्ति थे, जिनमें दिखावा नाम की कोई चीज नहीं थी, जबकि उच्च पदों पर पहुंचने वाले व्यक्ति अक्सर इसका शिकार हो जाता है।
सिन्हा ने स्मरण करते हुए कहा, “जब वह रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख थे, मैंने एसआईएनपी के 50 साल पूरे होने के अवसर पर उन्हें आमंत्रित किया था। उन्होंने कहा था कि मिसाइल के प्रक्षेप पथ के आंकलन के लिए उन्होंने मेघनाद साहा समीकरण का इस्तेमाल किया था। यह बेहद मजेदार बात थी।”
पद्म भूषण विजेता ने कहा, “एक मित्र के रूप में मुझे उनकी कमी हमेशा खलेगी।”
वीईसीसी के वर्तमान निदेशक परमाणु वैज्ञानिक दिनेश कुमार श्रीवास्तव ने कलाम की सबके प्रति सहानुभूति का उल्लेख किया।
पूर्व राष्ट्रपति के साथ अपने अनुभव के आधार पर श्रीवास्तव कलाम के पत्र पढ़ने की आदत के कायल थे और वे अल्बर्ट आइंस्टाइन की तरह ही सबको जवाब भी लिखते थे।
उन्होंने कहा, “मुझे एक पत्र मिला था, जिसमें दावा किया गया था कि समय को ऊर्जा में बदला जा सकता है, क्योंकि सभी अस्थिर कण समय के साथ नष्ट हो जाते हैं और ऊर्जा प्रदान करते हैं। पत्र लिखने वाला व्यक्ति मुझसे भी मिला, लेकिन मेरी बातों से वह संतुष्ट नहीं हुआ और उसने कलाम को लिखा।”
यकीनन, कुछ दिनों बाद मुझे राष्ट्रपति भवन से उनके एक सलाहकार का कॉल आया। मुझसे कहा गया कि राष्ट्रपति ने आपसे आग्रह किया है कि मुझे उस व्यक्ति को एक बार फिर बुलाना चाहिए और उसे बेहद विस्तार से समझाना चाहिए कि उसके विचार में क्यों कोई वैज्ञानिक आधार नहीं था।
उन्होंने आईएएनएस से कहा, “इस बात से मुझे याद आया कि अल्बर्ट आइंस्टाइन को भी भारी तादाद में पत्र लिखे जाते थे और वे सबका जवाब देते थे। यह उनकी लोगों के प्रति सहानुभूति थी, जो उन्हें औरों से अलग करता है और सबका चहेता बनाता है।”