Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the js_composer domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
 क्या नाच-गाना, हंसी-मजाक, मारधाड़ ही है मनोरंजन? | dharmpath.com

WordPress database error: [Duplicate entry 'content_before_add_post' for key 'option_name']
INSERT INTO wp_options ( option_name, option_value, autoload ) VALUES ( 'content_before_add_post', 'yes', 'no' )

रायपुर, 11 अप्रैल (आईएएनएस/वीएनएस)। ‘मांझी- द फाउंटेन मैन’, ‘मिर्च मसाला’, ‘हीरो हीरालाल’, ‘रंग रसिया’ जैसी कई फिल्में बनाने वाले केतन मेहता का सवाल है कि क्या नाच-गाना, हंसी-मजाक, मारधाड़ वाली फिल्में ही मनोरंजन है? रायपुर, 11 अप्रैल (आईएएनएस/वीएनएस)। ‘मांझी- द फाउंटेन मैन’, ‘मिर्च मसाला’, ‘हीरो हीरालाल’, ‘रंग रसिया’ जैसी कई फिल्में बनाने वाले केतन मेहता […]" />

Tuesday , 17 June 2025

Home » मनोरंजन » क्या नाच-गाना, हंसी-मजाक, मारधाड़ ही है मनोरंजन?

क्या नाच-गाना, हंसी-मजाक, मारधाड़ ही है मनोरंजन?

रायपुर, 11 अप्रैल (आईएएनएस/वीएनएस)। ‘मांझी- द फाउंटेन मैन’, ‘मिर्च मसाला’, ‘हीरो हीरालाल’, ‘रंग रसिया’ जैसी कई फिल्में बनाने वाले केतन मेहता का सवाल है कि क्या नाच-गाना, हंसी-मजाक, मारधाड़ वाली फिल्में ही मनोरंजन है?

रायपुर, 11 अप्रैल (आईएएनएस/वीएनएस)। ‘मांझी- द फाउंटेन मैन’, ‘मिर्च मसाला’, ‘हीरो हीरालाल’, ‘रंग रसिया’ जैसी कई फिल्में बनाने वाले केतन मेहता का सवाल है कि क्या नाच-गाना, हंसी-मजाक, मारधाड़ वाली फिल्में ही मनोरंजन है?

मेहता कहते हैं कि अच्छी कविता, अच्छे डॉयलॉग से भी तो मनोरंजन किया जा सकता है। वह कहते हैं, “दुनिया में सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री होने के बाद भी हमारी सबसे ज्यादा ट्रेजेडी है कि हम अपने आप की ही फिल्में नहीं देखते।”

दूसरे रायपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में शामिल होने पहली बार रायपुर पहुंचे जाने-माने फिल्म निर्माता-निर्देशक केतन मेहता रविवार को यहां के एक होटल में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे।

उन्होंने कहा, “इस समय ऑडिशन देने वाली पीढ़ी पैदा हो रही है। नया लैंग्वेज बन रहा है। सेलफोन पर फिल्में बन रही हैं। वहीं इंटरनेट के जरिए भी फिल्में देखी जा सकती हैं। बदलते समय में ये जरूरी भी है।”

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “जो कहानी मुझे एक्साइट करती है, उस पर फिल्म बनाता हूं।”

मेहता ने कहा कि मनोरंजन का मतबल सिर्फ नाच-गाना, हंसी-मजाक, मारधाड़ ही नहीं होता। अच्छी कविताएं, अच्छे डॉयलॉग से भी मनोरंजन किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि उनकी कोशिश रहती है कि उनकी फिल्में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सके। उनकी हर फिल्म में दर्शकों को एक नया अनुभव देखने को मिलता है। वह अपनी फिल्मों में हर बार कुछ नया करने की कोशिश करते हैं।

केतन मेहता अब झांसी की रानी लक्ष्मीबाई पर फिल्म बनाने जा रहे हैं। इस फिल्म में झांसी की रानी के किरदार में कंगना रनौत को लिए जाने की बात चलने पर उन्होंने कहा कि वह बहुत अच्छी अभिनेत्री हैं। उनमें कुछ कर गुजरने का जज्बा नजर आता है।

क्या नाच-गाना, हंसी-मजाक, मारधाड़ ही है मनोरंजन? Reviewed by on . रायपुर, 11 अप्रैल (आईएएनएस/वीएनएस)। 'मांझी- द फाउंटेन मैन', 'मिर्च मसाला', 'हीरो हीरालाल', 'रंग रसिया' जैसी कई फिल्में बनाने वाले केतन मेहता का सवाल है कि क्या रायपुर, 11 अप्रैल (आईएएनएस/वीएनएस)। 'मांझी- द फाउंटेन मैन', 'मिर्च मसाला', 'हीरो हीरालाल', 'रंग रसिया' जैसी कई फिल्में बनाने वाले केतन मेहता का सवाल है कि क्या Rating:
scroll to top