नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त नीरज कुमार का मानना है कि पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार बेअंत सिंह की हत्या के मास्टरमाइंड को पकड़ना उनकी जिंदगी का सबसे खतरनाक अभियान था।
नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त नीरज कुमार का मानना है कि पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार बेअंत सिंह की हत्या के मास्टरमाइंड को पकड़ना उनकी जिंदगी का सबसे खतरनाक अभियान था।
कुमार ने आईएएनएस के साथ एक साक्षात्कार में कहा, “हम उम्मीद कर रहे थे कि अंदर बैठा व्यक्ति क्लाशनिकोव राइफल लिए गोली मारने को तैयार बैठा होगा, लेकिन हमारे लिए हैरानी और राहत की बात थी, जब हमने लंबे कद के पगड़ी पहने एक सिख युवक को आराम से एक कुर्सी पर बैठे देखा।”
कुमार ने बताया, “बिना पगड़ी के एक अन्य सिख भी आराम की मुद्रा में बैठा था। हमने समय गंवाए बगैर उन्हें काबू में कर लिया।”
पगड़ी वाले व्यक्ति ने कबूल कर लिया कि वह तारा है। यह वाकया चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या से महज कुछ ही सप्ताह बाद सितम्बर 1995 का है। बेअंत सिंह की हत्या से देश हिल उठा था।
बेअंत सिंह ऐसे समय में पंजाब के मुख्यमंत्री बने थे, जब राज्य में खालिस्तान की मांग को लेकर संघर्ष अपने चरम पर था।
उनके सत्ता संभालते ही सुरक्षा बलों ने दशकों से चली आ रही हिंसा की कहानी खत्म कर दी थी।
नीरज कुमार उस समय केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में कार्यरत थे। वह उन कठिन लम्हों को याद करते हुए कहते हैं, “जगतार सिंह तारा को गिरफ्तार करना मेरे सबसे कठिन अभियानों में से एक था।”
1992 से 1995 तक मुख्यमंत्री रहे बेअंत सिंह को 31 अगस्त, 1995 को एक आत्मघाती हमले में बब्बर खालसा इंटरनेशनल(बीकेआई) ने मार डाला था। इस घटना में 17 अन्य लोगों को भी जान गंवानी पड़ी थी।
उस दिन शाम लगभग 5.10 बजे बेअंत सिंह दूसरी मंजिल पर स्थित आपने कार्यालय से नीचे उतरे थे। जैसे ही वह वीआईपी अहाते में खड़ी अपनी कार में बैठने के लिए बढ़े, पुलिस की वर्दी में आत्मघाती हमलावर दिलावर सिंह ने खुद को उड़ा दिया।
तारा को पकड़ने में जोखिम के बारे में कुमार ने कहा, “बताया गया था कि तारा हथियार से लैस है और उसके पास सायनाइड की गोली भी है। हम निहत्थे थे और चार लोग थे।”
उस समय सीबीआई में उपमहानिरीक्षक के पद पर कार्यरत कुमार जानते थे कि तारा को पकड़ना खतरों से भरा है।
कुमार ने कहा, “कुछ स्थानीय निवासियों को विश्वास में लिए बिना, पूरे क्षेत्र की घेरेबंदी किए बिना, हथियारों और बुलेट प्रूफ जैकेट के बिना, किसी कमांडो दस्ते के बिना वहां जाने का मेरा फैसला चंद ही सेकेंड में सचमुच उलटा भी पड़ सकता था।”
कुमार ने कहा, “हमारा सारा साहस हमारे लिए ही घातक हो सकता था।”
सहायक उपनिरीक्षक अंचल सिंह, कॉन्सटेबल धर्मबीर सिंह और कॉन्सटेबल सुरिंदर सिंह ने कुमार का इस अभियान में साथ दिया था।
वे दक्षिणी दिल्ली के सफदरजंग एन्कलेव में एक छोटे-से एक मंजिला नगर निगम बाजार में स्थित एक दुकान में अचानक ही घुस गए थे। जहां उन्हें उनका शिकार मिल गया।
कुमार ने कहा, “खुशकिस्मती से दोनों व्यक्तियों में से किसी के पास भी कोई हथियार नहीं था।”
नीरज कुमार ने यह खुलासा ऐसे समय में किया है, जब उनकी किताब ‘डायल डी फॉर डॉन’ हाल ही में प्रकाशित हुई है।
कुमार की किताब मूल रूप से मुंबई में 1993 में हुए श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों के बाद देश के अंडरवल्र्ड के बारे में है। इन विस्फोटों के लिए माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम को जिम्मेदार ठहराया गया था। दाऊद अभी भी फरार है।