चेन्नई, 27 अगस्त (आईएएनएस)। भारत के पहले फास्ट ईंधन पुर्नसस्करण परमाणु संयंत्र की आधारशिला जल्द ही रखी जाएगी। तमिलनाडु के कलपक्कम में बनने वाले इस संयंत्र पर 9600 करोड़ खर्च होंगे। एक उच्च अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि दो महीने के अंदर इसे बनाने का काम शुरू हो जाएगा।
इंदिरा गांधी सेंटर फॉर एटमिक रिसर्च (आईजीसीएआर) के निदेशक पी.आर.वासुदेव राव ने आईएएनएस से खास मुलाकात में बताया, “ईंधन पुर्नसस्करण संयंत्र के लिए मिट्टी की खुदाई का काम लगभग पूरा हो चुका है। दो महीने के अंदर इसकी आधारशिला रख दी जाएगी।”
उन्होंने कहा कि 9600 करोड़ की फास्ट रिएक्टर फ्यूल साइकिल फैसिलिटी (एफआरएफसीएफ) के प्रशासनिक भवनों की आधारशिला पहले रखी जाएगी।
उन्होंने कहा कि हालांकि एफआरएफसीएफ में रिएक्टर नहीं होगा, सिर्फ ईंधन रिप्रोसेसिंग संयंत्र होंगे, फिर भी संयंत्र के भवन को भूकंप रोधी मानकों पर पूरा उतरना पड़ेगा और इसके लिए और गहरी खुदाई की जरूरत पड़ेगी।
इसी तरह तमाम अन्य सुरक्षा पहलुओं पर भी नजर रखी जा रही है और इन्हें परियोजना के निर्माण में शामिल किया जा रहा है।
राव ने बताया कि परियोजना की कुल लागत में से करीब 50 फीसदी के टेंडर की प्रक्रिया जारी है।
उन्होंने बताया कि मशीनों और उपकरणों के लिए अभी तक करीब 500 करोड़ रुपये के आर्डर दिए जा चुके हैं।
राव ने कहा कि उम्मीद है कि 2019 के अंत तक एफआरएफसीएफ काम करना शुरू कर देगा। उन्होंने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में परियोजना पर 500 करोड़ खर्च किए जाएंगे।
आईजीसीएआर ने 500 मेगावाट की क्षमता का प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (पीएफबीआर) की डिजाइन बनाई थी। इसे अब भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेड (बीएचएवीआईएनआई) कलपक्कम में बना रहा है।
फास्ट ब्रीडर रिएक्टर अणुओं के विभाजन के लिए जितना ईंधन इस्तेमाल करते हैं, उससे अधिक का उत्पादन करते हैं। भारत के त्रिस्तरीय परमाणु कार्यक्रम के लिए ये बेहद महत्वपूर्ण हैं।
राव ने कहा कि एफआरएफसीएफ का खास मकसद पीएफबीआर और कल्पक्कम में बन रहे दो अन्य रिएक्टर के खर्च किए गए ईंधन का पुर्नसस्करण (रिप्रोसेस) करना है।