बैतूल, 15 अक्टूबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में दो बहनें लाइलाज बीमारी से जूझ रही हैं। उनकी जिंदगी की शाम कब ढल जाए, कोई नहीं जानता, यही कारण है कि चिकित्सकों के बीमारी के आगे हार मान लेने पर पीड़ित परिवार को अब सिर्फ अपनी आराध्य देवी भवानी पर आस रह गई है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि उनकी बेटियों के जीवन के लिए वे भी देवी मां से प्रार्थना करें।
बैतूल, 15 अक्टूबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में दो बहनें लाइलाज बीमारी से जूझ रही हैं। उनकी जिंदगी की शाम कब ढल जाए, कोई नहीं जानता, यही कारण है कि चिकित्सकों के बीमारी के आगे हार मान लेने पर पीड़ित परिवार को अब सिर्फ अपनी आराध्य देवी भवानी पर आस रह गई है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि उनकी बेटियों के जीवन के लिए वे भी देवी मां से प्रार्थना करें।
जिला न्यायालय में माली के पद पर कार्यरत सम्पतराव देशमुख की दोनों बेटियां प्रिया (18) और प्रीति (17) गंभीर और लाइलाज बीमारी (डकहेन मस्कुलर डिस्ट्राफीया ब्रेन डी जनरेट) से जूझ रही है, जिनका दुनिया में कोई इलाज नहीं है।
सम्पतराव देशमुख और उनकी पत्नी अनिता देशमुख ने बताया कि उन्होंने देवास, इंदौर, भोपाल, राजस्थान, चेन्नई सहित दिल्ली के एम्स में दोनों पुत्रियों का इलाज कराया, और इस इलाज पर वे चार लाख रुपये खर्च कर चुके हैं। एम्स के चिकित्सकों ने भी डेढ़ वर्ष तक शोध करने के बाद हाथ खड़े कर दिए।
देशमुख दम्पति का कहना है कि वर्तमान में नवरात्र चल रहे हैं, वे अपनी बेटियों के लिए देवी मां से आराधना कर रही हैं, साथ ही उन्होंने अन्य लोगों से आग्रह किया है कि वे भी उनकी दोनों बच्चियों के लिए प्रार्थना करें तो हो सकता है कि मां भगवती कोई चमत्कार दिखा दें।
प्रिया और प्रीति पढ़ाई करना चाहती हैं, लेकिन प्रीति चल-फिर नहीं पाती है। प्रिया थोड़ा बहुत चलती है। वह स्कूल जा रही है, लेकिन प्रीति से चार कदम भी चला नहीं जा रहा है। बच्चियों के कमर के नीचे के हिस्से में धीरे-धीरे ताकत खत्म होती जा रही है, जिससे वह शरीर का वजन उठाने भी में सक्षम नहीं है। हाल यह है कि घर में भी उन्हें दीवार पकड़कर चलना पड़ता है।
सम्पतराव देशमुख ने बताया कि जब वह दोनों बच्चियों की बीमारी के विषय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिले तो उन्होंने उपचार का खर्च उठाने का आश्वासन देते हुए अफसरों को इस्टीमेट बनाने के निर्देश दिए, लेकिन इस बीमारी का दुनियाभर में उपचार नहीं है, इस कारण इस्टीमेट भी नहीं बन सका। अंतत: प्रदेश के मुखिया भी बेबस हो गए। सारी उम्मीदें टूट चुकी हैं, आस है तो बस मां भवानी के चमत्कार की।
देशमुख दंपति ने बताया कि दोनों बेटियां 13 वर्ष की उम्र तक आम बच्चियों की तरह हंसती-खेलती थीं, लेकिन विगत पांच वर्षो से इस बीमारी ने दोनों की जिंदगी ही बेकार कर दी है। वह सभी से एक ही अपील करते हैं कि मां भवानी से प्रार्थना करो कि उनकी बच्चियां स्वस्थ हो जाएं।
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. योगेश पंडारे ने आईएएनएस को बताया कि मेडिकल की भाषा में इस बीमारी को ‘डकहेन मस्कुलर डिस्ट्राफीया ब्रेन डी जनरेट’ कहा जाता है जिसमें नर्वस सिस्टम (नासिका तंत्र) खत्म होने लगता है।
इस तरह की बीमारी के दुनियाभर में बमुश्किल चार या पांच मरीज ही होते हैं, इसीलिए इसका उपचार आज तक नहीं खोजा जा सका है। इस बीमारी के मरीज 18 वर्ष की उम्र के बाद कमजोर होने लगते हैं और उसके कमर के नीचे का हिस्सा धीरे-धीरे काम करना बंद कर देता है। इसके बाद शरीर का एक-एक अंग खराब होने लगता है और अंतत: मरीज की 25 से 26 वर्ष की उम्र होते-होते मौत हो जाती है।
हर तरफ से मिले नकारात्मक जवाबों से देशमुख परिवार निराश है, मगर आस नहीं छोड़ी है। इंसानी हार के बाद उसे इस बात का भरोसा है कि नवरात्र के समय उसकी प्रार्थना देवी मां जरूर सुनेंगी।