बस्तर दशहरा पर्व का प्रमुख कार्यक्रम ‘मुरिया दरबार’ 25 अक्टूबर को दोपहर एक बजे से जगदलपुर के सिरहासार भवन में आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह भी शामिल होंगे। वहीं 27 अक्टूबर को दंतेवाड़ा के माईजी की डोली की विदाई के साथ पर्व का समापन होगा।
75 दिनों तक चलने वाला बस्तर का दशहरा पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। वहीं रथ चुराने की रस्म यहां सैकड़ों साल पुरानी है। बताया जाता है कि दशहरा के दिन आठ चक्के वाले रथ की परिक्रमा के बाद माईजी का छत्र उतारकर दंतेश्वरी मंदिर में रखा गया है। वहीं शुक्रवार देर रात आदिवासी रथ को चुराकर ले गए। आदिवासी रथ को कोतवाली के सामने से होते हुए कुम्हड़ाकोट पर ले जाकर जंगल में छिपा देते हैं। जहां एकादशी को राजपरिवारों के सदस्यों द्वारा पूजा-अर्चना के पश्चात रथ की वापसी होती है। ये परंपरा सैकड़ों सालों पुरानी है।
इतिहासविद् डॉ. रमेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि बस्तर का दशहरा पूरे विश्व में अपने परंपराओं को लेकर भी काफी प्रसिद्ध है। यहां दशहरा पूरे 75 दिनों तक मनाया जाता है। इसमें देश-विदेश के लोग भी हजारों की संख्या में शामिल होते हैं। बस्तर के दशहरा में शामिल होने बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भी जगदलपुर पहुंच गए हैं।
विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा के बाद छत्तीसगढ़ में फिंगेश्वर (जिला गरियाबंद) का शाही दशहरा भी काफी मशहूर है। यह दशहरा हर वर्ष विजयादशमी के दिन न मनाकर तेरस को मनाया जाता है। इसके लिए पूरे फिंगेश्वर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। इस दशहरा में शामिल होने छत्तीसगढ़ के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं। हर वर्ष यहां 25 से 30 हजार लोग शामिल होते हैं।
दशहरा महोत्सव के दिन 25 अक्टूबर को सुबह बालाजी पंचमंदिर मौली माता एवं फणेश्वरनाथ महादेव के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। वहीं शनिवार की रात ध्वजारोहण के बाद भगवान रामचंद्र सांग देवता एवं मंदिर समिति के ट्रस्ट कमेटी के सर्वराकर राजा महेंद्र बहादुर सिंह की उपस्थिति में शोभायात्रा भी निकाली जाएगी। मुख्य कार्यक्रम हाईस्कूल खेल मैदान में होगा। महोत्सव में इस वर्ष भी आकर्षक आतिशबाजी के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए जाएंगे।