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 बुंदेलखंड : रोटी मांगने पर बच्चों को मां मारती हैं चांटे | dharmpath.com

Wednesday , 11 June 2025

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बुंदेलखंड : रोटी मांगने पर बच्चों को मां मारती हैं चांटे

महोबा, 23 जनवरी (आईएएनएस)। बुंदेलखंड में भूखे बच्चों तक का पेट भरना मुश्किल हो चला है। यही कारण है कि जब बच्चे रात में खाना मांगते हैं, तो उनकी माताएं उन्हें रोटी की बजाय चपत (चांटे) मारकर सुला देती हैं, क्यांेकि उनके पास इतना अनाज ही नहीं है कि वे बच्चों को कई बार खाना और दूध दे सकें।

महोबा, 23 जनवरी (आईएएनएस)। बुंदेलखंड में भूखे बच्चों तक का पेट भरना मुश्किल हो चला है। यही कारण है कि जब बच्चे रात में खाना मांगते हैं, तो उनकी माताएं उन्हें रोटी की बजाय चपत (चांटे) मारकर सुला देती हैं, क्यांेकि उनके पास इतना अनाज ही नहीं है कि वे बच्चों को कई बार खाना और दूध दे सकें।

यह दर्द भरी कहानी महोबा के सूपा गांव की महिलाओं ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को सुनाई।

राहुल गांधी शनिवार को जब बुंदेलखंड के सूखे और यहां के लोगों का हाल जानने पहुंचे तो हर किसी ने अपना दुखड़ा उनके सामने सुना डाला। एक महिला जब उनके सामने आई तो उसने खाने का संकट होने तक की बात कह डाली। उस महिला ने उन्हंे बताया कि उसके छोटे बच्चे हैं, जिन्हें वह खाना भी आसानी से नहीं दे पा रही है।

उसने बताया कि कई बार बच्चा रात में खाना मांगते हुए रोने लगता है तो वह उसे खाना और दूध दे नहीं पाती है, क्योंकि रहता ही नहीं है। इस स्थिति में वह बच्चे की पिटाई कर उसे रोते-रोते सोने को मजबूर कर देती है। यह हाल सिर्फ उसके घर का नहीं, बल्कि यहां घर-घर की कहानी बन गई है।

एक ग्रामीण पवन मिश्रा ने कहा कि उनके गांव में पानी का घोर संकट है, खेत वीरान पड़े हैं, मवेशियों को खिलाने के लिए चारा नहीं है। इतना ही नहीं, शिक्षा का कोई इंतजाम नहीं है। सरकार उनकी समस्या पर ध्यान नहीं दे रही है। एक तरफ खाने का संकट है तो दूसरी ओर उपचार के लिए दवा खरीदना भी उनके लिए मुश्किल हो चला है।

वहीं अनीस खान ने राहुल गांधी को क्षेत्र की स्थिति का ब्यौरा दिया और बताया कि लोगों को रोजगार भी नहीं मिल रहा है। कई लोग ऐसे हैं जिन्हें कई माह की मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ है। उनके लिए अपनी जरूरतें पूरी करना भी मुश्किल हो चला है।

राहुल गांधी ने परेशान किसानों की बात सुनने के बाद कहा कि केंद्र में जब उनकी सरकार थी, तब उन्होंने इस क्षेत्र के लिए विशेष पैकेज मंजूर किया था। अब उनकी न तो राज्य और न ही केंद्र में सरकार है, लिहाजा वह बतौर एक विपक्षी नेता, यहां की आवाज लोकसभा में उठांएगे। साथ ही केंद्र व राज्य सरकारों पर दवाब डालेंगे कि वे इस क्षेत्र के लिए कुछ करें।

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