नई दिल्ली, 28 जून (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जुलाई में होने वाली मध्य एशिया के पांच देशों की यात्रा से पहले एक बार फिर से अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) समझौता केंद्र में आ गया है, जिस पर भारत, रूस और ईरान ने एक दशक से भी पहले हस्ताक्षर किए हैं।
ईरान से होकर यूरेसिया क्षेत्र तक बेहतर संपर्क स्थापित करने के लिए इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। आईएनएसटीसी सदस्यों ने इस महीने के शुरू में कैस्पियन सागर होते हुए भारत, ईरान और रूस के बीच प्रायोगिक परिवहन की स्थिति रपट पर समीक्षा बैठक की थी और जुलाई में एक और बैठक होनी है।
मुंबई के नावा शेवा से ईरान के बंदर अब्बास से होते हुए रूस के अस्त्रखान और अजबेजान के बाकू तक के इस गलियारे से भारत से मध्य एशियाई क्षेत्रों और रूस तक माल ढुलाई में लगने वाला समय काफी कम हो सकता है।
सड़क परिवहन और जहाज रानी मंत्री नितिन गडकरी ने गत महीने चाबहार बंदरगाह के विस्तार से संबंधित सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए तेहरान की यात्रा की थी।
प्रधानमंत्री मोदी जुलाई में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) और ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रूस के ऊफा शहर जाने वाले हैं। वहां वह रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से भी मिलेंगे।
उसके बाद मोदी तुर्कमेनिस्तान, ताजिकिस्तान, उजबेकिस्तान, किर्गिस्तान और कजाकिस्तान की भी यात्रा करेंगे। प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद इस क्षेत्र की यात्रा करने वाले मोदी दूसरे भारतीय प्रधानमंत्री होंगे।
इस बीच वाणिज्य मंत्रालय द्वारा गत सप्ताह के शुरू में जारी एक बयान के मुताबिक भारत और तीन सदस्यों (रूस, कजाकिस्तान और बेलारूस) वाले यूरेशियन आर्थिक संघ ने मुक्त व्यापार समझौते की संभावना खंगालने के लिए एक संयुक्त समूह गठित किए हैं।
यह समूह अपनी रिपोर्ट एक साल के भीतर पेश करेगा।