Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the js_composer domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
 भारत की मुट्ठी में होगी अंतरिक्ष दुनिया | dharmpath.com

Tuesday , 17 June 2025

Home » धर्मंपथ » भारत की मुट्ठी में होगी अंतरिक्ष दुनिया

भारत की मुट्ठी में होगी अंतरिक्ष दुनिया

भारत पूरी शांति से ‘सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया’ के सिद्धांत के साथ अंतरिक्ष अनुसंधान की कामयाबी की ओर बढ़ रहा है। भारत का यह मिशन दुनिया का दादा बनने के बजाय विकास वाहक बनने की है। वह वैश्विक दुनिया के देशों से आंख में आंख मिला कर विकास और प्रगति की लंबी दूरी तय करना चाहता है।

भारत पूरी शांति से ‘सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया’ के सिद्धांत के साथ अंतरिक्ष अनुसंधान की कामयाबी की ओर बढ़ रहा है। भारत का यह मिशन दुनिया का दादा बनने के बजाय विकास वाहक बनने की है। वह वैश्विक दुनिया के देशों से आंख में आंख मिला कर विकास और प्रगति की लंबी दूरी तय करना चाहता है।

अंतरिक्ष की दुनिया में भारत बादशाहत कायम की है। अंतरिक्ष विज्ञान में वैज्ञानिकों का बढ़ता कदम एक नए भारत के निर्माण की ओर बढ़ रहा है। एक ऐसा भारत जो दुनिया को आसमान की और अंतरिक्ष के अनसुलझे एक-एक रहस्यों की परत से पर्दा उठाएगा। आज का दिन हमारे लिए गौरवशाली है इससे यह यह साबित हो चला है कि दुनिया के अंतरिक्ष पर भारत का कब्जा होगा। वह दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया के मुल्कों पर अंतरिक्ष विज्ञान और विकासवादी सोच के जरिए नेतृत्व करेगा।

एक विकासशील देश के लिए इससे बड़ी उपलब्धि और क्या हो सकती है। हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिक कभी साइकिल पर रख स्पेस सेंटर तक अपने उपग्रह ले गए थे, लेकिन आज हम एक साथ 20-20 उपग्रह पीएसएलवी के जरिए अंतरिक्ष का रहस्य खोलने के लिए भेज रहे हैं।

भारतीय अनुसंधान संगठन इसरों के वैज्ञानिक की इस काबिलियत को नमन। हमारे वैज्ञानिकों ने देश की गरिमा और गौरव को बुलंदियों पर पहुंचाया है। भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है। हमारे वैज्ञानिकों ने श्रीहरिकोटा लांचिंग सेंटर से सिर्फ 26 मिनट में 20 उपग्रहों को अपनी कक्षा में स्थापित कर नया इतिहास रचा है।

सुबह 9:26 मिनट पर यह मिशन शुरू हुआ। तीन उपग्रह भारत के हैं जबकि 17 विदेशी हैं। भारत ने पृथ्वी की निगरानी करनेवाले कारटोसैट-2 समेत 19 उपग्रहों को ध्रवीय उपग्रह पीएसलवी-सी 34 के जरिए सतीश धवन अंतरिक्ष पैड से छोड़ा, जिसमें अमेरिका, कनाडा और जर्मनी के उपग्रह शामिल हैं।

इसमें चेन्नई के छात्रों की तरफ से निर्मित सत्यभामा और पुणे के छात्रों की द्वारा निर्मित उपग्रह भी शामिल हैं जो पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित हैं। इस प्रक्षेपण का सबसे प्रमुख उपग्रह भारतीय काटोर्सेट-2 है। इसका वजन 727.5 किलोग्राम है। यह सब मीटर रिसॉल्यूशन में भी तस्वीर खींच सकता है। इसमें भारत और अमेरिका की दोस्ती के प्रतीक 13 अमेरिकी उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में छोड़ा गया है, जिसमें गूगल का भी एक उपग्रह स्काईसैट-2 है।

यह बेहतर तस्वीरें खींचने और अच्छी विडियो बनाने में सक्षम होगा। पीएसएलवी-सी 23 की सफल उड़ान और पृथ्वी की कक्षा में सफल स्थापन के बाद भारत दुनिया के छह शक्तिशाली तकनीकी संपन्न ‘स्पेश मिशन’ के देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने स्वदेशी तकनीकी से यह सफलता हासिल की है।

पीसएलवी-सी 23 के सफल परीक्षण से भारत का अंतरिक्ष प्रोग्राम दुनिया के सबसे सक्षम मिशन तकनीक से लैस छह देशों में शामिल हो गया है।

भारत की यह तकनीकी पूरी तरह स्वदेशी और वैज्ञानिक दक्षता पर आधारित है। ‘आर्य भट्ट’ से शुरू हुआ यह मिशन काफी आगे निकल गया है। आर्यभट्ट का पहला मिशन बेंगलुरू से शुरू हुआ था। देश और उसके वासियों के लिए यह सबसे गर्व की बात है। भारत के ‘स्पेश मिशन’ की सफलता और कामयाबी इससे और अधिक बढ़ जाती है कि दुनिया के विकसित देश भी यहां के वैज्ञानिकों पर खासा भरोसा करते हैं।

भारतीय अतंरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने आठ साल पूर्व 28 अप्रैल 2008 के अपने ही रिकार्ड को तोड़ दिया है। जब विश्व रिकार्ड बनाते हुए पीएसलवी ने एक साथ 10 उपग्रहों को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित किया था।

भारतीय काटोर्सेट-2 भूमि और जल उपयोग में बेहर मदद करेगा। जबकि शोध छात्रों की ओर से निर्मित सत्यभामा ग्रीन हाउस गैसों के प्रभाव का अध्ययन करने में नया आयाम उपलब्ध कराएगा। इसरो के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष विज्ञान में भारत का लोहा मनवाया है।

वहीं देश के आर्थिक प्रगति में नई मिसाल कायम की है। संगठन ने पिछले साल 74 उपग्रह लांच कर 1700 करोड़ की कमाई की जबकि जबकि इस साल 1500 करोड़ की कमाई की जा चुकी है। अभी अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को मजबूत आधार देने के लिए 20 देश इसरो के संपर्क में हैं। दुनिया का कोई भी अंतरिक्ष सेंटर इतनी कम लागत में इस तरह की सुविधा नहीं उपलब्ध करा रहा है।

भारत के स्पेस सेंटर की फीस दूसरे देशों के मुकाबले बेहद कम है। जिससे दुनिया के देश अपने अंतरिक्ष मिशन को आगे बढ़ाने के लिए भारत का सहयोग ले रहे हैं। मार्स मिशन जैसे लक्ष्य को भारत 450 करोड़ की लागत से कामयाब बनाने में लगा है। इसमें इसरो अमेरिका का सहयोग ले रहा है।

भारत से अब तक 67 उपग्रह छोड़े गए हैं सभी श्रीहरिकोटा से ही प्रक्षेपित किए गए हैं। इसी केंद्र से 19 देशों के उपग्रह यहां से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किए गए हैं। 40 विदेशी उपग्रह को भारत के इस स्पेश सेंटर से लांचिंग का सौभाग्य मिला है।

हमारे लिए इससे बड़ी और क्या उपलब्धि हो सकती है कि हम विकसित देश के उपग्रह कार्यक्रम को भी अपनी धरती से सफलता पूर्वक संचालित कर रहे हैं और वह भी एक विकासशील राष्ट्र होने के बाद भी? इससे यह साबित होता है कि हमारा अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया के स्पेश प्रोग्राम में काफी विश्वसनीय और तकनीकी विकास से सु²ढ़ है।

आपको याद होगा, गत वर्ष 30 जून को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गौरवमयी उपस्थिति में अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नया युग जुड़ गया था जब ‘पीएसएलवी-सी 23’ की लांचिंग की गई थी। इसकी लागत हॉलीवुड की एक फिल्म ‘ग्रविटी मूवी’ पर आए खर्च के बराबर थी।

वैज्ञानिकों से उन्होंने ‘सार्क सैटेलाइट’ की लांचिंग की अपील की थी। इसका उपयोग सार्क देशों की गरीबी, अशिक्षा, अंधश्रद्धा, वैज्ञानिक चुनौतियां और युवा के लिए किया जा सके।

प्रधानमंत्री ने कहा था कि हमारे देश लिए गौरव का क्षण है। यह उपलब्धि मानव जाति के लिए वरदान है। निश्चित तौर पर यह पूरे देश के लिए बड़ी उपलब्धि है। क्यों हम सारा जहां नापने को तैयार खड़े हैं। देश वाासियों को अपनी धरती और अपने वैज्ञानिकों की इस कामयाबी पर गर्वित होना चाहिए। (आईएएनएस/आईपीएन)

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

भारत की मुट्ठी में होगी अंतरिक्ष दुनिया Reviewed by on . भारत पूरी शांति से 'सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया' के सिद्धांत के साथ अंतरिक्ष अनुसंधान की कामयाबी की ओर बढ़ रहा है। भारत का यह मिशन दुनिया का दादा बनने भारत पूरी शांति से 'सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया' के सिद्धांत के साथ अंतरिक्ष अनुसंधान की कामयाबी की ओर बढ़ रहा है। भारत का यह मिशन दुनिया का दादा बनने Rating:
scroll to top