इस्लामाबाद, 10 मार्च (आईएएनएस)। पाकिस्तान के प्रमुख दैनिक ‘डॉन’ ने कहा है कि पाकिस्तान, भारत के साथ जो खुफिया सूचनाएं साझा कर रहा है, वह दोनों देशों के अच्छे रिश्ते के लिए जरूरी हैं। अखबार का कहना है कि मुंबई आतंकी हमले ने द्विपक्षीय रिश्तों में उससे कहीं ज्यादा जहर भरा है जितना पाकिस्तान समझता है या जितना महसूस करता दिखता है।
‘भारत के साथ सहयोग’ (कोआपरेशन विद इंडिया) शीर्षक वाले संपादकीय में ‘डॉन’ ने कहा है कि गृह मंत्री और प्रधानमंत्री के विदेशी मामलों के सलाहकार ने यह माना है कि भारतीय अधिकारियों को इस बात की जानकारी दी गई है कि आतंकी सीमा पार कर भारत में दाखिल हुए हैं। ऐसा कर भारतीय अधिकारियों को भारत की धरती पर एक संभावित आतंकी हमले को लेकर सचेत किया गया।
अखबार के अनुसार, “इस तरह की खुफिया जानकारी साझा करने की बात पिछले हफ्ते प्रकाश में आई थी। इससे भारत के गुजरात में हाई अलर्ट किया गया। यह ठीक है, पाकिस्तान और भारत के रिश्ते में इसकी और जरूरत है।”
इसे ‘समय से, प्रासंगिक और सहयोगात्मक’ करार देते हुए संपादकीय में कहा गया है कि जिनके बारे में माना जा रहा है कि वे अवैध तरीके से सीमा पार कर भारत में घुसे हैं, उन आतंकियों की पहचान भी बताई जाए। केवल जैश-ए-मुहम्मद के सदस्यों की ही नहीं बल्कि ‘पावन’ समझे जाने वाले लश्कर-ए-तैयबा के सदस्यों के बारे में भी जानकारी दी जाए।
अखबार के मुताबिक, “शायद भारत विरोधी सभी गैर राजकीय तत्वों (नान स्टेट एक्टर्स) और सरकार के बीच दूरी बढ़ना खुद तय है।”
संपादकीय में कहा गया है कि यदि वास्तव में ऐसा है कि भारत के खिलाफ धावा बोलने वाले लश्कर और उसके सहयोगी संगठन भविष्य में निरुत्साहित किए जाएंगे और भारत विरोधी गुटों को गहन जांच का सामना करना पड़ेगा, तो शायद मुंबई हमले से जुड़े लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का भी यही सही समय है।
संपादकीय में कहा गया है, “नवंबर 2008 में मुंबई हमले से न केवल द्विपक्षीय रिश्ता बल्कि पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा भी खतरे में पड़ गई। जब पेरिस जैसे शहर पर हमला हुआ तो दुनिया के बहुत सारे मुल्कों में मुंबई हमले को याद किया गया। इनमें कई देश पाकिस्तान के सहयोगी हैं।”
संपादकीय में यह भी कहा गया है कि यदि भारत से समय पर खुफिया सूचनाएं साझा की जाएं, पठानकोट हमले की साजिश में कोई भी आतंकी शामिल हो उसके खिलाफ जांच की जाए व मुकदमा चलाया जाए और मुंबई आतंकी हमले से जुड़े मुकदमे की सुनवाई फिर से शुरू करते हुए उसका तेजी से निपटारा किया जाए तो आतंक विरोधी मोर्चे पर पाकिस्तान का एक शक्तिशाली संदेश जाएगा।