उन्होंने कहा, “मां का दूध (स्तनपान) बच्चों के लिए सबसे अच्छा भोजन है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, खनिज लवण जैसे तत्व बिल्कुल सही मात्रा में मौजूद रहते हैं।”
उन्होंने कहा कि मां का दूध पीने वाले बच्चों को बचपन में निमोनिया जैसी बीमारी होने की संभावना नहीं रहती है। बड़े होने के बाद भी उनमें मोटापा या मधुमेह जैसी बीमारियों का खतरा कम रहता है।
सबसे बड़ी बात यह है कि मां का दूध पीने वाले बच्चों की मानसिक क्षमता अन्य प्रकार के बच्चों से बेहतर होती है।
उन्होंने कहा कि बच्चों को मां का दूध पिलाने का फायदा बच्चों के साथ-साथ मां को भी होता है। बच्चों को अपना दूध पिलाने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा कम रहता है। साथ ही चूंकि इससे मानसिक क्षमता बढ़ती है और स्वास्थ्य बेहतर होता है, इसलिए इसका फायदा आखिरकार पूरे समाज को मिलता है।
स्तनपान के ऐसे तथा अन्य कई लाभ की जानकारी शोध पत्रिका ‘द लैंसेट’ में प्रकाशित हुई है।
उन्होंने कहा, “लैंसेट के आलेख में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मां का दूध पीने का जितना फायदा बच्चों को मिलता है, उतना और किसी चीज का नहीं मिलता। यह विकसित देश में भी उतना ही जरूरी है, जितना कम विकसित देशों में।”
बाजार में बिकने वाले बाल आहार के बारे में उन्होंने कहा कि वह उतना फायदेमंद नहीं है, जितना प्रचार में बताया जाता है।
उन्होंने कहा कि यह जानना बहुत जरूरी है कि बाजार में बिकने वाले शिशु आहार और दूध के पावडर में रोग से बचाने का वह गुण नहीं होता, जो मां के दूध में होता है।
बल्कि ऐसे आहार में यदि भूल से गंदा पानी मिलाया गया हो या गंदे बर्तन का इस्तेमाल किया गया हो, तो वह बच्चे के लिए खतरनाक भी हो सकता है।