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‘अधिक पानी वाले राज्यों को खुशी-खुशी जल बांटना चाहिए’

नई दिल्ली, 6 मई (आईएएनएस)। लोकसभा सचिवालय के तत्वावधान में यहां आयोजित एक कार्यशाला में सांसदों और विशेषज्ञों ने कहा कि जिन राज्यों के पास पानी की अधिकता है, उन्हें इसे जल की कमी वाले राज्यों के साथ खुशी-खुशी बांटना चाहिए।

लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि कार्यशाला में यह महसूस किया गया कि पानी देने के मामले में राज्यों को यह आशंका रहती है कि जल बांटने से उनकी बिजली और सिंचाई परियोजनाओं पर नकारात्मक असर पड़ेगा। इस आशंका को उन्हें दूर कर लेना चाहिए क्योंकि आसपास के क्षेत्रों का समावेशी विकास भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

इस दो दिवसीय कार्यशाला का समापन गुरुवार को हुआ। इसका आयोजन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की एक शोध पहल के तहत हुआ था।

विचार-विमर्श के दौरान यह कहा गया कि जल सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए नदियों को जोड़ना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इस कार्यशाला में भाग लेने वालों में राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी के महानिदेशक एस.मसूद हुसैन, गांधी शांति प्रतिष्ठान के सोपान जोशी और एक गैर सरकारी संगठन ‘संभव’ के फरहाद कांट्रैक्टर भी थे जिन्होंने सांसदों के साथ अपने अनुभव बांटे।

जल प्रबंधन में समुदाय की भूमिका पर यह आम सहमति थी कि जल संग्रहण के लिए लोगों में विस्तृत जागरूकता होनी चाहिए।

बयान में कहा गया कि देश भर में स्थित जल संरक्षण के पुराने माध्यमों, जैसे तालाबों, कुओं और अन्य तंत्रों को पुनर्जीवित करने के प्रयास होना चाहिए।

इस संबंध में भरतीय जनता पार्टी के सांसद जगदम्बिका पाल ने आईएएनएस से कहा, “दो दिनों के विचार-विमर्श में सांसदों और संबद्ध क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने सूखा और कृषि से जुड़े मुद्दों, पेयजल प्रबंधन और जल प्रबंधन के लिए नदियों को जोड़ने पर विस्तृत चर्चा की। यह हमारी लोकसभा अध्यक्ष की ओर से अच्छी और परिणामदायक पहल रही।”

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