इन मछुआरों ने 2011 में बोहाई खाड़ी में तेल के रिसाव से उनकी आजीविका बुरी तरह से प्रभावित होने का आरोप लगाया था। मछुआरों और कोनोकोफिलिप्स के बीच लगभग चार साल की कानूनी लड़ाई के बाद यह फैसला आया है।
कोनोकोफिलिप्स और चीन की सरकारी तेल कंपनी सीएनओओसी को बोहाई खाड़ी में तेल के रिसाव से 6,200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र से अधिक के पानी को दूषित करने का जिम्मेदार ठहराया गया।
साल 2012 में चीनी प्रशासन ने दोनों कंपनियों के साथ एक समझौता किया था, जिसके अनुसार मछुआरों को एक अरब युआन की राशि प्रदान की जानी थी। लेकिन इस समझौते में मछुआरों ने हिस्सा नहीं लिया था और 30 दिसंबर, 2011 को याचिका दायर की थी।
अदालत ने सीएनओओसी को इन मछुआरों को मुआवजा राशि देने से बाहर रखा था, क्योंकि सीएनओओसी तेलक्षेत्र की संचालक कंपनी नहीं है।