नई दिल्ली, 29 फरवरी (आईएएनएस)। आम बजट 2016-17 की मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं :
– कर की बहुलता और व्यापकता को घटाने के लिए सालाना 50 करोड़ रुपये से कम वसूली वाले 13 कर हटाए गए।
– छोटे करदाताओं की मदद के लिए ई-सहयोग का होगा विस्तार।
– कर भुगतान अनुपालन में सरलता लाने के लिए ई-एसेसमेंट का दायरे बढ़ेगा।
– कराधान प्रस्तावों से सरकार की आय 19,610 करोड़ रुपये बढ़ेगी।
– कम आय दिखाने के मामले में जुर्माना कर का 50 फीसदी। गलत तथ्य पेश करने के मामले में जुर्माना 200 फीसदी।
– पिछली तिथि प्रभावित होने वाले कर मामलों में ब्याज देनदारी के बदले बकाये कर का किया जा सकता है भुगतान।
– ऊर्वरक में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण कुछ जिलों में पायलट आधार पर।
– अघोषित आय घोषित करने के लिए 1 जून से 30 सितंबर तक सीमित कर अनुपालन खिड़की। इस पर कुल 45 फीसदी अधिभार और जुर्माना।
– कोयला, लिग्नाइट और पीट पर स्वच्छ ऊर्जा कर प्रति टन 200 रुपये से बढ़कर 400 रुपये।
– न्यूनतम मुकदमेबाजी के नजरिए के साथ कम कर वाली व्यवस्था बनने का लक्ष्य।
– स्थिर और उम्मीद के मुताबिक कराधान व्यवस्था देने के लिए प्रतिबद्ध।
– 5 लाख रुपये सालाना आय वाले करदाताओं को सालाना 3,000 रुपये की राहत। एक करोड़ करदाता होंगे लाभान्वित।
– सालाना एक करोड़ रुपये आय पर आयकर अधिभार 12 फीसदी से बढ़कर 15 फीसदी होगा।
– निरामयी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत साधारण बीमा योजनाओं को सेवा कर से छूट।
– प्रतिस्पर्धा और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए सीमा और उत्पाद शुल्कों में उपयुक्त बदलाव होंगे।
– 2017-18 से योजना, गैर-योजना का फर्क समाप्त होगा।
– सालाना 5 लाख रुपये आय पर कर सीमा 2,000 रुपये से बढ़कर 5,000 रुपये।
– किराये के मकान में रहने वालों को राहत : धारा 88 जी के तहत कर कटौती 24 हजार रुपये से बढ़कर 60 हजार रुपये।
– कारपोरेट आय कर : नई विनिर्माण कंपनियों और छोटी कंपनियों को प्रोत्साहन।
– 2016-17 के लिए वित्तीय घाटा का लक्ष्य 3.5 फीसदी।
– जनरल एंटी-एवॉयडेंस रूल्स (गार) 1 अप्रैल 2017 से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध।
– सरकारी कंपनियों के संपत्ति प्रबंधन के लिए नई नीति।
– केंद्रीय सार्वजनिक उद्यमों में सरकारी निवेश के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाया जाएगा।
– सरकारी सेवाओं की बेहतर आपूर्ति के लिए तीन पहल।
– प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत आवंटन बढ़कर 1,80,000 करोड़ रुपये।
– दलहन के लिए बाजार स्थिरीकरण कोष को 900 करोड़ रुपये मिलेगा।
– एकीकृत आंकड़े एकत्रीकरण और विश्लेषण के लिए वित्तीय डाटा प्रबंधन केंद्र।
– मौद्रिक नीति प्रारूप को संवैधानिक आधार देने के लिए आरबीआई अधिनियम में होगा संशोधन।
– खाद्य वस्तुओं के देश में उत्पादन और विपणन क्षेत्र में एफआईपीबी मार्ग से 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति।
– विनिवेश विभाग का नया नाम होगा निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग।
– परमाणु ऊर्जा के दोहन के लिए 15-20 साल की अवधि वाली व्यापक योजना बनेगी।
– हर परिवार को एक लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा मिलेगा। पीएम जन औषधि योजना के तहत 300 जेनरिक ड्रग स्टोर खुलेंगे।
– सड़क और राजमार्ग के लिए 55 हजार करोड़ रुपये का प्रस्ताव। 50 हजार किलोमीटर राज्य राजमार्गो को राष्ट्रीय राजमार्ग बनाया जाएगा।
– स्टैंड अप इंडिया योजना को एससी, एसटी महिला उद्यमियों के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित।
– गहरे समुद्र और अन्य गहरे स्रोतों से गैस उत्पादन को प्रोत्साहन मिलेगा।
– अवसंरचना क्षेत्र के विवादों के निपटारा के लिए ‘पब्लिक यूटिलिटी रिजोल्यूशन ऑफ डिस्प्यूट्स विधेयक’।
– प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना को मिला 1,700 करोड़ रुपये।
– विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र के लिए डिजिटल डिपॉजिटरी।
– 1,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ उच्च शिक्षा वित्तीयन एजेंसी की होगी स्थापना।
– राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन से 76 लाख युवाओं को मिला प्रशिक्षण। 1,500 बहु-दक्षता प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना होगी।
– राज्यों द्वारा स्वेच्छा से स्वीकार करने के लिए मॉडल शॉप्स एंड एस्टीबलेशमेंट विधेयक जारी किया जाएगा।
– चालू खाता घाटा घटकर 14.4 अरब डॉलर।
– ग्रामीण और शहरी निकायों के लिए 2.87 लाख करोड़ रुपये।
– पशु कल्याण कार्यक्रम, पशु स्वास्थ्य कार्ड, ब्रीडरों को आपस में जोड़ने के लिए ई-विपणन प्लेटफार्म।
– एक मई 2018 तक 100 फीसदी ग्रामीण विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल होगा।
– मध्य और निम्न मध्य वर्ग के 75 लाख परिवारों ने स्वेच्छा से एलपीजी सब्सिडी का त्याग किया।
– पीएमजीएसवाई के लिए 19 हजार करोड़ रुपये आवंटित।
– 2015-16 में कृषि ऋण लक्ष्य 8.5 लाख करोड़ रुपये। 2016-17 के लिए नौ लाख करोड़ रुपये।
– 2016-17 में कृषि के लिए 35,984 करोड़ रुपये आवंटित।
– अगले तीन साल में जैविक खेती को जोत बढ़ाकर पांच लाख एकड़ किया जाएगा।
– मनरेगा को मिलेगा 38,500 करोड़ रुपये।
– बैंकों का आगामी वित्त वर्ष में पुनर्पूजीकरण।
– दूरदर्शी वित्तीय नीति की जरूरत। घरेलू मांग बढ़ाए जाने की जरूरत। सुधार की जरूरत।
– कृषि, ग्रामीण क्षेत्र, अवसंरचना और सामाजिक क्षेत्र के लिए कोष बढ़ा।
– 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों और ओआरओपी कार्यान्वयन के चलते खर्च की प्राथमिकता तय करना जरूरी।
– सुधार के नौ स्तंभ। इनमें कृषि, सामाजिक क्षेत्र, शिक्षा, अवसंरचना, वित्तीय अनुशासन और कर सुधार शामिल।
– संकटपूर्ण वैश्विक अर्थव्यवस्था की पृष्ठभूमि में बजट पेश।
– विरासत में मिली चुनौती को अवसर में बदला।
– उपभोक्ता महंगाई दर घटकर 5.4 फीसदी आई, जो पहले नौ फीसदी से अधिक थी। आम आदमी को राहत मिली।
– विदेशी पूंजी भंडार (फॉरेक्स रिजर्व) सर्वोच्च स्तर पर।