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 इलाहाबाद विवि की लौटानी है पहचान : ऋचा सिंह (साक्षात्कार) | dharmpath.com

Sunday , 8 June 2025

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इलाहाबाद विवि की लौटानी है पहचान : ऋचा सिंह (साक्षात्कार)

इलाहाबाद, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ की नवनिर्वाचित अध्यक्ष ऋचा सिंह का दावा है कि वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय को फिर से उसकी पहचान वापस दिलाएंगी और परिसर में कायम अराजक माहौल को खत्म करने का प्रयास करेंगी।

इलाहाबाद, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ की नवनिर्वाचित अध्यक्ष ऋचा सिंह का दावा है कि वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय को फिर से उसकी पहचान वापस दिलाएंगी और परिसर में कायम अराजक माहौल को खत्म करने का प्रयास करेंगी।

पूरब का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव में हमेशा दबंग छात्रों का ही बोलबाला रहा है। यूं तो हमेशा यहां से छात्र ही अध्यक्ष के पद पर चुने जाते रहे हैं और हमेशा इन्हीं का दबदबा भी कायम रहता है। 88 वर्षो बाद ऋचा सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर छात्रों के प्रभाव को खत्म कर अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाया है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय की छात्रसंघ की नई अध्यक्ष ऋचा सिंह ने आईएएनएस से विशेष बातचीत के दौरान विश्वविद्यालय से जुड़ी तमाम समस्याओं पर खुलकर अपने विचार रखे। उन्होंने यह भी बताया कि आने वाले दिनों में विश्वविद्यालय के माहौल को दुरुस्त करने के लिए उनके मन में क्या चल रहा है।

ऋचा सिंह कहती हैं, “चुनाव लड़ने के बारे में कभी सोचा नहीं था। पिछले दो-तीन वर्षो से विश्वविद्यालय के भीतर ही फ्रेंड्स यूनियन के नाम पर एक संगठन बनाकर हमलोग यहां छात्रों से जुड़ी समस्यायों पर काम कर रहे थे। छात्रसंघ चुनाव के ऐलान के साथ ही मन में विचार आया, क्यों न एक बार प्रयास किया जाए।”

उन्होंने कहा, “हालांकि विश्वविद्यालय के भीतर छात्रों का दबदबा देखकर मन में जीत को लेकर शंका भी पैदा हो रही थी लेकिन विश्वविद्यालय की गंदी राजनीति को देखकर ही मैंने मैदान में कूदने का फैसला किया।”

विश्वविद्यालय में आए दिन होने वाले हंगामे की वजह से यहां पर छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होती रहती है, इसके बारे में उन्होंने कहा कि विश्विद्यालय में पिछले कुछ वर्षो से अराजकता बढ़ रही थी। बाहरी लोगों का हस्तक्षेप अधिक था, जिससे परिसर का माहौल बिगड़ रहा था। पैनल बनाकर चुनाव लड़ा जाता था और जीतने के बाद अध्यक्ष विश्वविद्यालय की समस्याओं से हटकर राजनीति में शामिल हो जाता था। अब ऐसा नहीं होगा।

वह कहती हैं, “इन सबसे मन काफी दुखी था। विश्वविद्यालय में एक ऐसा माहौल होना चाहिए, जिसका लाभ छात्र-छात्राओं को मिल सके। यहां की मूलभूत समस्याओं को ही चुनावी एजेंडे में शामिल किया गया। लाइब्रेरी, कैंटीन, शौचालय, वाई-फाई जैसी सुविधाओं के अलावा समय-समय पर सेमिनार और बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।”

विश्वविद्यालय में छात्राओं की समस्याओं को लेकर ऋचा काफी गंभीर दिखाई देती हैं। वह कहती हैं, निश्चिततौर पर परिसर के भीतर छात्राओं की सुरक्षा एक बहुत बड़ा सवाल है। जल्द ही विश्वविद्यालय के भीतर सीसीटीवी कैमरों को लगवाने का प्रयास किया जाएगा। महिला छात्रावासों में आ रही दिक्कतों को भी दूर करने का प्रयास किया जाएगा।

ऋचा कहती हैं, “विश्वविद्यालय परिसर के भीतर छात्र-छात्राओं के लिए एक ऐसा माहौल तैयार करने की चुनौती है, जिसमें अराजकता का नामोनिशान न हो।”

ऋचा सिंह मूलरूप से उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले की रहने वाली हैं। इनके पिताजी बिजली विभाग में जेई रह चुके हैं। हालांकि वह कहती हैं कि इनकी पूरी शिक्षा दीक्षा इलाहाबाद में ही सम्पन्न हुई। वर्तमान में वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ग्लोबलाइजेशन एंड डेवलपमेंट का कोर्स कर रही हैं।

उल्लेखनीय है कि 30 सितम्बर को इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रसंघ का चुनाव हुआ था, जिसमें अध्यक्ष पद के लिए निर्दलीय उम्मीदवार ऋचा विजयी घोषित हुईं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आजादी के बाद छात्रसंघ अध्यक्ष का पद संभालने वाली वह पहली महिला हैं। इनसे पहले वर्ष 1927 में कुमारी एस.के. नेहरू इलाहाबाद विश्वविद्यालय की अध्यक्ष चुनी गई थीं।

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