नई दिल्ली, 10 मार्च (आईएएनएस)। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि इशरत जहां मामले से जुड़े अहम दस्तावेज गृह मंत्रालय से गायब हो गए हैं और इसकी जांच शुरू कर दी गई है। सरकार इसकी आंतरिक जांच करा रही है कि हलफनामा कैसे बदला गया और मामले से जुड़े पत्र एवं अन्य दस्तावेज कैसे गायब हुए।
उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2004 की इस विवादित मुठभेड़ पर कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली सरकार अपने रुख से बार-बार पलटी है। उसी मुठभेड़ में कथित रूप से लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ी इशरत जहां मारी गई थी।
राजनाथ ने 15 जून 2004 को हुए इशरत जहां मुठभेड़ के विवादित मामले में लोकसभा में संक्षिप्त बहस का सरकार की ओर से जवाब देते हुए कहा, “साल 2009 में तत्कालीन गृह सचिव की ओर से अटॉर्नी जनरल को लिखे दो पत्र गुम हो गए हैं। तत्कालीन अटॉर्नी जनरल ने मामले से जुड़े दो हलफनामों की जांच करवाई थी, वह भी उपलब्ध नहीं है।”
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने गुम दस्तावेजों का पता लगाने के लिए एक ‘आंतरिक जांच’ शुरू की है, जिससे सारे पहलू खुलकर सामने आ जाएंगे।
राजनाथ ने तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम का नाम लिए बिना आरोप लगाया कि उन हलफनामों में तत्कालीन गृहमंत्री के हस्तक्षेप पर सुधार करवाया गया था।
उन्होंने पुन: पुष्टि की कि ठाणे की रहने वाली इशरत एक आतंकवादी थी। अमेरिकी-पाकिस्तानी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली ने भी हाल में अपनी गवाही में इस बात की पुष्टि की है।
राजनाथ ने विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच कहा, “मैं यह कहते हुए दुखी हूं कि इशरत जहां मामले पर पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार का रुख बदलता रहा है।”
उन्होंने कहा, “गुजरात उच्च न्यायालय में दाखिल पहले हलफनामे में उसे लश्कर की आतंकवादी बताया गया, लेकिन बदकिस्मती से एक माह बाद दाखिल किए गए अन्य हलफनामे में तथ्यों को दूसरी ही दिशा दे दी गई। ऐसा लगता है कि मामले को कमजोर करने की एक कोशिश गई है।”
राजनाथ ने पूर्ववर्ती सरकार पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को बदनाम करने के लिए एक साजिश रचने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, “तत्कालीन गुजरात सरकार और मुख्यमंत्री को कलंकित करने के लिए हलफनामे को बदल दिया गया। उन्हें मामले में घसीटने के लिए एक षड्यंत्र रचा गया।”
राजनाथ ने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती सरकार ने देश में आतंकवाद को राजनीतिक व सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की और याद दिलाया कि हिंदू नागरिकों द्वारा अंजाम दी गई कथित हिंसक गतिविधियों को कांग्रेस ने ही ‘भगवा आतंकवाद’ का नाम दिया है।
केंद्रीय गृहमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार हेडली के बयान पर पूरी तरह भरोसा नहीं कर रही है। लश्कर के आतंकी हेडली ने मुंबई में वर्ष 2008 के हुए आतंकी हमले से पहले हमले के संभावित ठिकानों की रेकी की थी।
हेडली अभी अमेरिका की जेल में है। वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये पिछले माह उसने एक भारतीय दंडाधिकारी को बयान दर्ज कराया था।
राजनाथ सिंह ने विपक्षी दलों पर इशरत जहां मामले में घटिया राजनीति करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, “पिछली सरकार ने भारत में आतंकवाद को एक राजनीतिक एवं सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की थी। भगवा आतंकवाद नाम पिछली सरकार ने ही दिया था।”
इस बहस में भाग लेते हुए भाजपा सदस्य सत्यपाल सिंह ने कहा, “मेरे पास कांग्रेस के शीर्ष नेताओं में से एक नेता का फोन आया था। मुझे प्रलोभन दिया गया। मैंने इसकी जानकारी महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री और उनके सचिव को दी थी।”
सत्यपाल सिंह तब इस मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल के प्रमुख थे। पद छोड़ने के बारे में उन्होंने कहा, “मुझ पर न तो कांग्रेस और न ही भाजपा दबाव डाल सकती थी। मैंने पद इसलिए छोड़ा, क्योंकि मैं जो भी रिपोर्ट देता मुझे ही निशाना बनाया जाता। इसलिए गुजराती नहीं जानने का हवाला देकर पद छोड़ दिया था।”