नई दिल्ली, 31 दिसम्बर (आईएएनएस)। विजेंदर सिंह का पेशेवर मुक्केबाजी में विस्फोटक आगाज हो, चाहे टेनिस युगल विश्व रैंकिंग में सानिया मिर्जा और बैडमिंटन में साइना नेहवाल का सर्वोच्च विश्व वरीयता हासिल करना या लीग क्रांति में कुश्ती का प्रवेश, भारतीय खेल जगत ने इस वर्ष अनेक उपलब्धियां हासिल कीं और कई कीर्तिमान स्थापित किए।
नई दिल्ली, 31 दिसम्बर (आईएएनएस)। विजेंदर सिंह का पेशेवर मुक्केबाजी में विस्फोटक आगाज हो, चाहे टेनिस युगल विश्व रैंकिंग में सानिया मिर्जा और बैडमिंटन में साइना नेहवाल का सर्वोच्च विश्व वरीयता हासिल करना या लीग क्रांति में कुश्ती का प्रवेश, भारतीय खेल जगत ने इस वर्ष अनेक उपलब्धियां हासिल कीं और कई कीर्तिमान स्थापित किए।
भारत में सर्वाधिक लोकप्रिय खेल क्रिकेट हालांकि विवादों में घिरा रहा, जिसने क्रिकेट प्रतिस्पर्धाओं को भी प्रभावित किया।
सानिया वहीं अपने अद्भुत प्रदर्शन के बल पर भारतीय टेनिस जगत पर अकेले छाई रहीं। अमेरिका की बेथानी माटेक सैंड्स के साथ सिडनी इंटरनेशनल्स खिताब जीतने के बाद स्विट्जरलैंड की दिग्गज मार्टिना हिंगिस के साथ जोड़ी बनाना उनके करियर का सबसे अहम फैसला साबित हुआ।
मार्टिना के साथ सानिया ने इस वर्ष दो ग्रैंड स्लैम (विंबलडन और अमेरिकी ओपन) के साथ कुल नौ खिताब जीते, जिसमें वर्षात पर खेला गया बेहद प्रतिष्ठित डब्ल्यूटीए फाइनल्स खिताब भी शामिल है।
सानिया-मार्टिना की जोड़ी ने इस वर्ष कुल 16 स्पर्धाओं में हिस्सा लिया और उनकी जीत-हार का आंकड़ा 55-7 का रहा। इस दौरान उन्होंने हार्ट कोर्ट पर लगातार 22 मैच जीतने का कारनामा भी किया।
लेकिन युगल वर्ग में जहां भारत का सिक्का चमका, वहीं एकल वर्ग में उसका संघर्ष पूर्ववत जारी रहा। विश्व वरीयता में 93वें पायदान पर मौजूद युकी भांबरी भारत के सर्वोच्च वरीय एकल खिलाड़ी रहे और भारतीय टीम डेविस कप वर्ल्ड ग्रुप प्लेऑफ में चेक गणराज्य से हार गई।
देश के ओलम्पिक पदक विजेता विजेंदर सिंह ने इस वर्ष पेशेवर मुक्केबाजी में पदार्पण किया और लगातार तीन मैच नॉकआउट के जरिए जीतकर अंतर्राष्ट्रीय पेशेवर मुक्केबाजी में तहलका मचा लिया।
चार बाउट के शुरुआती दोनों मुकाबले जीतने के बाद विजेंदर ने अनुभवी मुक्केबाज सामेट ह्यूसीनोव के खिलाफ छह बाउट का तीसरा मुकाबला खेलना का निश्चय किया, हालांकि मुकाबले से पहले बढ़-चढ़ कर बात करने वाले हब्यूसीनोव दो बाउट में ही धराशायी हो गए।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में भारत को लगातार सफलता दिलाने वाली कुश्ती ने देश में लीग क्रांति में प्रवेश किया। हालांकि विश्व चैम्पियनशिप में भारत खास नहीं कर सका और नरसिंह पंचम यादव ने पुरुषों के 74 किलोग्राम भारवर्ग में एकमात्र पदक दिलाया और रियो ओलम्पिक-2016 के लिए क्वालीफाई भी कर लिया।
देश में प्रो रेसलिंग लीग (पीडब्ल्यूएल) के साथ कुश्ती के लीग टूर्नामेंट ने आगाज किया और पहले ही संस्करण में पीडब्ल्यूएल को दर्शकों को भरपूर समर्थन मिला।
दुनिया के दिग्गज पहलवानों के बीच बजरंग पुनिया, अमित दहिया, राहुल आवारे, अमित धनकर और रजनीश जैसे युवा प्रतिभाशाली पहलवानों ने अपने दमखम से लोगों का ध्यान आकर्षित किया।
लेकिन देश के सबसे चहेते खेल क्रिकेट के लिए यह वर्ष कुछ खट्टी यादों वाला भी रहा।
महेंद्र सिंह धौनी की अगुवाई में 28 वर्ष के अंतराल के बाद 2011 में विश्व कप जीतने वाली भारतीय क्रिकेट टीम इस वर्ष अपने खिताब का बचाव नहीं कर सकी और आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड की संयुक्त मेजबानी में हुए विश्व कप के सेमीफाइनल में उसे आस्ट्रेलिया के हाथों हारकर बाहर होना पड़ा।
क्रिकेट के लिए हालांकि यह उतना बड़ा नुकसान नहीं रहा, जितना इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी के दोषी पाए गए अधिकारियों के कारण राजस्थान रॉयल्स और चेन्नई सुपर किंग्स टीमों को निलंबन होना रहा।
दोनों टीमों के निलंबन के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने आगामी दो संस्करणों के लिए आईपीएल में दो नई टीमों, पुणे और राजकोट, को खुली और उल्टी नीलामी के जरिए शामिल किया।
भारतीय टेस्ट टीम के नवनियुक्त कप्तान विराट कोहली की शुरुआती सफलता भी मिली। हालांकि दक्षिण अफ्रीका के दो महीने लंबे भारत दौरे पर भारतीय टीम को टी-20 और एकदिवसीय सीरीज गंवानी पड़ी।
भारत पांच मैचों की टेस्ट श्रृंखला में जरूर दक्षिण अफ्रीका को 3-0 से हराने में सफल रहा, लेकिन नागपुर टेस्ट की पिच ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में भारत की काफी किरकिरी कराई।
भारत और पाकिस्तान के बीच प्रस्तावित श्रृंखला पर काफी खींचतान मची रही और अंतत: निराशाजनक तरीके से यह प्रस्तावित द्विपक्षीय श्रृंखला ढंडे बस्ते में चली गई।
साल के आखिर में आते-आते क्रिकेट पर एक नए भ्रष्टाचार के बादल घिरे। दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली पर जमकर आरोप लगे।
क्रिकेट से इतरह बैडमिंटन में भारत के लिए यह वर्ष नई सफलताओं वाला रहा। सायना नेहवाल ऑल इंग्लैंड ओपन के फाइनल में प्रवेश करने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनीं और विश्व रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचने वाली भी पहली भारतीय खिलाड़ी बनने का गौरव हासिल किया।