उन्होंने कहा कि छठे मंत्रिमंडल विस्तार व पुनर्गठन में भी अतिपिछड़ी व अत्यंत पिछड़ी जातियों को कैबिनेट में समुचित व आनुपातिक प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है।
निषाद ने कहा कि कुशवाहा, मौर्य, निषाद, पाल, लोध, किसान जैसी मजबूत आधार वाली जातियों को कैबिनेट देने व कुछ को स्वतंत्र प्रभार बनाया जाना आवश्यक है। लोधी/किसान जाति के तीन, निषाद व कश्यप जाति के 2, पाल, चौरसिया, जाति के एक-एक लोगों को राज्यमंत्री बनाया गया है। प्रजापति व माली सैनी समाज के एक-एक लोगों को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि लोधी किसान, निषाद, मौर्य, कुशवाहा, शाक्य, पाल, समाज का कैबिनेट में प्रतिनिधित्व आवश्यक है।
निषाद ने बताया कि 2007 की मतदाता सूची के अनुसार, निषाद समुदाय की मल्लाह, केवट, बिंद, धीवर, कहार, रायकवार, गोडिया, तुरहा, मांझी आदि जातियों की संख्या-1 करोड़ 73 लाख, 78 हजार तथा सामाजिक न्याय समिति-2001 की 12.92 प्रतिशत, लोधी किसान-6.06 प्रतिशत, कुशवाहा, मौर्य, काछी, सैनी आदि 8.56 प्रतिशत, पाल-बघेल-4.43 प्रतिशत, राजभर-2.44 प्रतिशत, चौहान-2.33, तेली-3.01, कांदू भुर्जी-1.43, विश्वकर्मा-3.72 प्रतिशत, नाई, सविता-1.01 प्रतिशत हैं।
उन्होंने लक्ष्मीकांत पप्पू निषाद को खाद्य एवं रसद राज्यमंत्री बनाये जाने पर सपा नेतृत्व व मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करते हुए मत्स्य विभाग की जिम्मेदारी दिये जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
निषाद ने रामजतन राजभर को मंत्रिमंडल में जगह देकर सामाजिक समीकरण को दुरुस्त करने पर बल दिया। साथ ही निषाद, नाई, सविता, नोनिया, चौहान, रायकवाड़, तुरैहा, पासवान, भुर्जी, साहू, समाज को विभिन्न निगम, आयोग, परिषद व सरकारी संस्थाओं में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सलाहकार आदि बनाकर राजनीतिक हिस्सेदारी व सम्मान दिए जाने की मांग की।