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 उप्र : किसानों को भा रही ‘विलायती गाजर’ की खेती | dharmpath.com

Friday , 13 June 2025

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उप्र : किसानों को भा रही ‘विलायती गाजर’ की खेती

बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश), 6 मार्च (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर जिले के किसान यूं तो गन्ने की खेती बड़े ही सलीके से करते हैं, लेकिन पिछले एक दशक से यहां के किसान अपना ट्रेंड बदल रहे हैं। गन्ने की खेती करने वाले किसान अब विलायती गाजर की खेती की तरफ रुख कर रहे हैं।

बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश), 6 मार्च (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर जिले के किसान यूं तो गन्ने की खेती बड़े ही सलीके से करते हैं, लेकिन पिछले एक दशक से यहां के किसान अपना ट्रेंड बदल रहे हैं। गन्ने की खेती करने वाले किसान अब विलायती गाजर की खेती की तरफ रुख कर रहे हैं।

इंग्लिश कैरट के नाम से मशहूर इस गाजर की खेती 10 हजार एकड़ तक फैल चुकी है। हजारों किसान इसका लाभ ले रहे हैं।

पश्चिमी उप्र में बुलंदशहर जिले के सिकंदराबाद तहसील के कई गांवों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर हो रही है। करीब 12 से 14 हजार किसान विलायती गाजर की खेती कर रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस गाजर की सप्लाई बुलंदशहर से पूरे देश में की जाती है।

विलायती गाजर की खेती से जुड़े किसानों को सरकार भी काफी सहूलियत दे रही है। विलायती गाजर की खेती करने वाले किसान सेवानिवृत्त कर्नल सुभाष देशववाल को उप्र के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद सम्मानित कर चुके हैं। विलायती गाजर की खेती के विकास के लिए उन्होंने किसानों को हर संभव मदद देने का आश्वासन भी दिया था।

विलायती गाजर की खेती की मुहिम से जुड़े राज्य योजना आयोग के सदस्य सुधीर पंवार ने आईएएनएस से विशेष बातचीत के दौरान इसकी जानकारी दी।

पंवार ने बताया कि विलायती गाजर को इंग्लिश कैरेट के अलावा ऊटी गाजर भी बोला जाता है। पहले इसकी खेती सिर्फ ऊटी में ही होती थी, लेकिन अब उप्र में विलायती गाजर की खेती बड़े पैमाने पर शुरू हो गई है।

सुधीर पंवार ने कहा, “पश्चिमी उप्र के बुलंदशहर जिले के सिकंदराबाद तहसील में विलायती गाजर की खेती की शुरुआत करीब 10 वर्ष पहले हुई थी। उस समय वहां के एक किसान कर्नल सुभाष देशवाल ने दो एकड़ से इसकी शुरुआत की थी, लेकिन अब यह 10 हजार एकड़ तक पहुंच गई है।”

उप्र योजना आयोग के सदस्य की माने तो बुलंदशहर में पैदा होने वाले विलायती गाजर की मांग अब पूरे देश से आ रही है। यह ऊटी के गाजर को भी कड़ी टक्कर दे रहा है। विलायती गाजर का प्रयोग मुख्य तौर पर कैचअप व हार्लिक्स तैयार करने में किया जाता है। अब इसकी मांग बढ़ गई है।

उन्होंने बताया कि करीब 12 हजार किसान इस खेती से जुड़े हैं। इनमें ज्यादातर वो किसान हैं जो पहले गन्ने की खेती किया करते थे, लेकिन विलायती गाजर की खेती में अच्छी इनकम होने की वजह से अब किसान इसमें अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

विलायती गाजर के उत्पादन के बारे में पूछे जाने पर पंवार ने बताया कि बुलंदशहर में विलायती गाजर का उत्पादन 20 हजार टन तक पहुंच चुका है, इसलिए अब इसे बाहर भेजने की तैयारी की जा रही है।

उप्र के कृषि उत्पादन आयुक्त प्रवीर कुमार ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा कि किसानों के लिए यह एक अच्छा प्रयास है। सरकार विलायती गाजर की खेती करने वाले किसानों को लाभ पहुंचा रही है और उनको उत्साहित करने का काम कर रही है।

प्रवीर कुमार ने कहा, “विलायती गाजर की खेती काफी तेजी से फैल रही है। आठ मार्च को बुलंदशहर में इसको लेकर एक कार्यक्रम भी आयोजित होगा, जहां सनसाइन ग्रामीण प्रोसेसिंग हब की शुरुआत की जाएगी। उत्पादन बढ़ने पर अब इसे देश से बाहर भी बेचने की योजना बनाई जा रही है।”

इस बीच, विलायती गाजर की खेती से जुड़े एक किसान अखिलेश कुमार ने बताया कि गन्ने की खेती अब पहले जैसी नहीं रह गई है। गन्ने का उत्पादन होने के बाद उसे मिलों में भेजने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है, लेकिन विलायती गाजर की खेती करने से अच्छी आय होती है और तुरंत मिल जाती है।

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