Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the js_composer domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
 काशी को सूना कर गए लच्छू महाराज (श्रद्धांजलि) | dharmpath.com

Wednesday , 18 June 2025

Home » धर्मंपथ » काशी को सूना कर गए लच्छू महाराज (श्रद्धांजलि)

काशी को सूना कर गए लच्छू महाराज (श्रद्धांजलि)

वाराणसी, 28 जुलाई (आईएएनएस)। शास्त्रीय संगीत जगत में प्रसिद्ध बनारस घराने से ताल्लुक रखने वाले मशहूर तबला वादक लक्ष्मी नारायण सिंह उर्फ लच्छू महाराज संगीत के असली साधक थे। तबले की थाप पर उन्होंने पूरी दुनिया को नाचने के लिए मजबूर किया। उनके जाने से बनारस घराने के साथ ही पूरी काशी में एक रिक्तता का आभास हो रहा है।

वाराणसी, 28 जुलाई (आईएएनएस)। शास्त्रीय संगीत जगत में प्रसिद्ध बनारस घराने से ताल्लुक रखने वाले मशहूर तबला वादक लक्ष्मी नारायण सिंह उर्फ लच्छू महाराज संगीत के असली साधक थे। तबले की थाप पर उन्होंने पूरी दुनिया को नाचने के लिए मजबूर किया। उनके जाने से बनारस घराने के साथ ही पूरी काशी में एक रिक्तता का आभास हो रहा है।

लच्छू महाराज ने अपने जीवन में जिन ऊंचाइयों को छुआ, वह हर किसी के बस की बात नहीं।

लच्छू महाराज का जन्म 16 अक्टूबर 1944 को बनारस में ही चौक इलाके में हुआ था। उन्होंने छोटी उम्र में ही तबला वादन शुरू कर दिया था। उनका विवाह टीना नामक फ्रांसीसी महिला से हुआ था।

तबला वादन के प्रति समर्पण भाव के चलते 1962 में उन्हें दिल्ली में ऑल इंडिया रेडियो में प्रस्तुति का मौका मिल गया। इसके बाद से पं. लच्छू महाराज ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनकी उंगलियों के जादू को देखते हुए उन्हें ‘विश्व तबला सम्राट’ की उपाधि मिली।

बनारस के संगीत प्रेमियों की माने तो वे संगीत के असली साधक थे। वह अपने फक्कड़ मिजाज के लिए जाने जाते हैं। उनके करीबी लोग बताते हैं कि काफी अनुनय-विनय करने के बाद ही वह स्थानीय कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुति देने के लिए तैयार होते थे।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में संगीत के विजिटिंग प्रोफेसर आद्यानाथ उपाध्याय ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा, “उनके जैसा संगीत का साधक मिलना काफी मुश्किल है। वह फक्कड़ मिजाज के थे। सम्मान की चाह उनमें कभी नहीं रही।”

उन्होंने बताया कि बनारस में ‘नादार्शन’ के नाम से एक पत्रिका निकलती थी। वह उसके संरक्षक भी रह चुके हैं। बाद में वर्ष 1988-89 के आसपास वह बंद हो गई। सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ ही साहित्य से भी उनका लगाव था।

लच्छू महाराज के निधन पर तबला वादक पूरन महाराज भी काफी दुखी हैं। उन्होंने कहा, “लच्छू महाराज के जाने से संगीत जगत को अपूरनीय क्षति हुई है। इससे काशी में एक रिक्तता आ गई है। उन्होंने काशी का नाम पूरी दुनिया में रौशन किया था।”

अप्पा जी गिरजादेवी ने कहा, “लच्छू जी जैसा कलाकार दोबारा पैदा नहीं होता। मेरे बचपन के दोस्त बनारस घराने के सिद्धस्त तबला वादक थे। मेरी व्यक्तिगत क्षति है।”

शहर में कई बड़े संगीत कार्यक्रम के आयोजक व कला प्रेमी गंगा सहाय पांडेय ने बताया कि लच्छू महाराज अपने भांजे व प्रसिद्घ अभिनेता गोविंदा के तमाम प्रयास के बावजूद मुंबई नहीं गए। उनका मन बनारस में ही लगता था। उनके निधन से संगीत जगत में शून्यता की स्थिति हो गई है।

उन्होंने बताया, “इतने साधारण थे कि 2002-03 में यूपी सरकार की ओर से उन्हें पद्मश्री दिया जा रहा था, लेकिन उन्होंने नहीं लिया। बाद में ये सम्मान उनके शिष्य पंडित छन्नू लाल मिश्र को मिला।”

गौरतलब है कि प्रख्यात तबला वादक लक्ष्मी नारायण सिंह उर्फ लच्छू महाराज का बुधवार देर रात निधन हो गया। सीने में तेज दर्द की शिकायत पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। लच्छू महाराज 73 वर्ष के थे।

काशी को सूना कर गए लच्छू महाराज (श्रद्धांजलि) Reviewed by on . वाराणसी, 28 जुलाई (आईएएनएस)। शास्त्रीय संगीत जगत में प्रसिद्ध बनारस घराने से ताल्लुक रखने वाले मशहूर तबला वादक लक्ष्मी नारायण सिंह उर्फ लच्छू महाराज संगीत के अस वाराणसी, 28 जुलाई (आईएएनएस)। शास्त्रीय संगीत जगत में प्रसिद्ध बनारस घराने से ताल्लुक रखने वाले मशहूर तबला वादक लक्ष्मी नारायण सिंह उर्फ लच्छू महाराज संगीत के अस Rating:
scroll to top