नई दिल्ली, 18 जनवरी (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार से 12 सूखा प्रभावित राज्यों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए), मनरेगा, मध्याह्न् भोजन योजनाओं पर अमल और वर्षा से संबंधित आंकड़ा पेश करने को कहा।
न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति आर.के.अग्रवाल की पीठ ने उन मानदंडों के बारे में भी जानकारी मांगी, जिसके तहत किसी क्षेत्र को सूखा प्रभावित घोषित किया जाता है जिसके आधार पर वर्षा का आंकड़ा निर्धारित किया जाता है।
शीर्ष अदालत ने सूखा प्रभावित 12 राज्यों में लोगों के लिए एक किलो दाल, एक किलो खाद्य तेल, अंडे और दूध की उपलब्धता के बारे में भी जानकारी मांगी।
अदालत ने सॉलिसीटर जनरल रंजीत कुमार से ये सभी आंकड़े मामले की अगली सुनवाई की तारीख, 22 जनवरी को देने के लिए कहा।
अदालत ने राज्यों को निर्देश दिया कि वे संबंधित आंकड़े केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को दें।
शीर्ष अदालत ने ये निर्देश स्वयंसेवी संस्था स्वराज अभियान द्वारा सूखा प्रभावित राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार, ओडिशा, झारखंड और हरियाणा के बारे में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए।
रंजीत कुमार ने अदालत को केंद्र द्वारा सूखा प्रभावित लोगों की दशा में सुधार के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा राहत कोष और कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के राज्य आपदा राहत कोष से 1500 करोड़, 2032 करोड़, 3044 करोड़ और 1276 करोड़ की वित्तीय सहायता दी गई है।
स्वराज अभियान की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अदालत से आग्रह किया कि वह सरकार को निर्देश दे कि सूखा प्रभावित इलाकों के सभी लोगों को राहत उपलब्ध कराई जाए। इसमें यह न देखा जाए कि कौन गरीबी रेखा से नीचे है और कौन ऊपर।