(खुसुर-फुसुर)-अभी तक नित रोज देर शाम अखबार छपने से पहले उनके संपादकों और मालिकों को फोन कर फलां समाचार नहीं छपने और और फलां समाचार को छापने के लिए फोन करने वाले सरकारी अधिकारियों का भी मूढ़ बदलने लगा है। अब ये अधिकारी अपनी मित्रों, करीबियों से इतना कहने से नहीं चूक रहे हैं कि परिवर्तन तो प्रकृति का नियम है। वो तो आज नही तो कल होकर ही रहेगा। यदि बदलाव होता भी है तो क्या फर्क पड़ता है। ये नहीं तो दूसरा काम देखेंगे। पर काम तो सरकार का ही करेंगे।
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