नई दिल्ली, 22 अप्रैल (आईएएनएस)। बेमौसम बारिश की मार झेल रहे मजबूर किसान देशभर में खुदकुशी कर रहे हैं, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा बुलाई गई एक जनसभा के दौरान एक पीड़ित किसान की खुदकुशी से देश गमगीन हो गया है।
नई दिल्ली, 22 अप्रैल (आईएएनएस)। बेमौसम बारिश की मार झेल रहे मजबूर किसान देशभर में खुदकुशी कर रहे हैं, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा बुलाई गई एक जनसभा के दौरान एक पीड़ित किसान की खुदकुशी से देश गमगीन हो गया है।
केंद्र सरकार के भूमि अध्यादेश के खिलाफ आयोजित आप की जनसभा के दौरान राजस्थान के किसान गजेंद्र सिंह द्वारा बेमौसम बारिश के कारण फसलों की बर्बादी से परेशान होकर फांसी लगाकर खुदकुशी करने के बाद राजनीतिक गलियारों में आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर शुरू हो गया।
जंतर मंतर पर फांसी लगाकर खुदकुशी करने वाले किसान की ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा, “गजेंद्र (सिंह) की मौत से देश गमगीन हो गया है।”
घटना से पहले आप के मंच पर पार्टी नेता कुमार विश्वास ने भूमि अध्यादेश पर नरेंद्र मोदी सरकार को आड़े हाथ लेना शुरू ही किया था कि उन्होंने एक व्यक्ति को नीम के पेड़ से लटकता देखा।
कुछ पलों के लिए अपना भाषण रोककर कुमार विश्वास ने पुलिस और पार्टी कार्यकर्ताओं को पेड़ से उस व्यक्ति को नीचे उतारने को कहा।
जनसभा के दौरान मीडिया स्टेज मौजूद आईएएनएस के संवाददाता ने देखा, घनी दाढ़ी-मूंछ वाला वह व्यक्ति रंगीन पगड़ी पहने अजीबोगरीब मुद्रा में पेड़ की डाल पर बैठा सा लगा।
जब पुलिस ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, तब कुमार विश्वास ने आप के स्वयंसेवकों को उसे बचाने के लिए कहा।
केजरीवाल को सुनने के लिए बड़ी तादाद में पहुंचे स्वयंसेवकों में से तीन स्वयंसेवक पेड़ पर चढ़े। इस दौरान पत्रकार भी पेड़ की ओर बढ़ने लगे।
पलक झपकते ही लोगों का ध्यान आप के मंच से पेड़ की तरफ चला गया। उसे बचाने के लिए स्वयंसेवकों ने स्कार्फ की गांठें खोली।
स्वयंसेवक हालांकि मूर्छित गजेंद्र सिंह को संभाल नहीं पाए और मूर्छित अवस्था में ही गजेंद्र सिंह का शरीर काफी ऊंचाई से धम्म की आवाज के साथ जमीन पर गिर पड़ा।
उसके गिरते ही तेज शोरगुल शुरू हो गया और आक्रोशित आप सदस्यों ने पुलिस के खिलाफ नारे लगाने शुरू कर दिए। इस बीच गजेंद्र सिंह को लेकर कुछ कार्यकर्ता दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
घटनास्थल से हिंदी में लिखा एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें लिखा था कि जीवन में उसके लिए अब कुछ नहीं बचा, क्योंकि उसकी सारी फसल बेमौसम बारिश की भेंट चढ़ चुकी है। पत्र के अंत में उसने जय जवान, जय किसान, जय राजस्थान लिखा था।
“मैं वह पहला पत्रकार था, जिसने उस व्यक्ति को देखा। उसकी सांस रुक चुकी थी और जीभ आंशिक तौर पर बाहर निकल आई थी।”
कुमार विश्वास ने कहा, “पुलिस ने अपना काम ढंग से नहीं किया। उन्हें गजेंद्र सिंह को बचाने के लिए प्रयास करने चाहिए थे। आप के कार्यकर्ताओं ने अपनी जान जोखिम में डालकर उसे नीचे उतारा और अस्पताल लेकर गए।”
यह पूछे जाने पर कि घटना के बाद जनसभा क्यों नहीं रोकी गई, आप नेता संजय सिंह ने कहा, “यदि हम जनसभा रोकते तो भगदड़ मच सकती थी या कानून-व्यवस्था से संबंधित अन्य परेशानियां आ सकती थीं।”
वहीं, पुलिस ने आप के आरोपों से इनकार किया और कहा कि मामले की जांच की जा रही है। जांच का आदेश केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने दिया है।
पार्टी कार्यालय में भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, “आप नेताओं ने व्यक्ति को खुदकुशी करने से क्यों नहीं रोका?”
कांग्रेस नेता अजय माकन ने सबसे पहले अस्पताल का दौरा किया और कहा कि आत्महत्या को टालने के लिए आप तथा पुलिस को कदम उठाना चाहिए था।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी अस्पताल पहुंचे। बाद में उन्होंने मीडिया से कहा, “हम किसान के परिवार के साथ हैं। हम उनकी मदद करेंगे।”
राजस्थान में मृतक किसान के परिवार ने कहा कि वह बेमौसम बारिश के कारण गेहूं की फसल बर्बाद होने से पहले से ही परेशान थे।
गजेंद्र के चाचा गोपाल सिंह ने आईएएनएस से टेलीफोन पर कहा कि राज्य सरकार ने उसे हुए नुकसान की भरपाई नहीं की।
उन्होंने कहा, “उसके पास लगभग 25 बीघा खेत है, जिसमें उसने गेहूं बोया था। बारिश व ओलावृष्टि से उसकी पूरी फसल बर्बाद हो चुकी है।”
उधर, कांग्रेस ने मृतक किसान के परिवार को दो लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है।