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गंगा को बिहार ही बचाएगा : संजय सिंह (साक्षात्कार)

पटना, 28 फरवरी (आईएएनएस)। जल सरंक्षण के लिए ‘जल जन जोड़ो अभियान’ चलाने वाले पर्यावरणविद् संजय सिंह का मानना है कि जिन राज्यों में नदियों को बचाने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं, वहां के राजनेताओं को इसमें राजनीतिक लाभ नहीं देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि गंगा को बचाने के लिए अगर कोई आंदोलन शुरू होगा तो वह बिहार से ही होगा।

पटना, 28 फरवरी (आईएएनएस)। जल सरंक्षण के लिए ‘जल जन जोड़ो अभियान’ चलाने वाले पर्यावरणविद् संजय सिंह का मानना है कि जिन राज्यों में नदियों को बचाने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं, वहां के राजनेताओं को इसमें राजनीतिक लाभ नहीं देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि गंगा को बचाने के लिए अगर कोई आंदोलन शुरू होगा तो वह बिहार से ही होगा।

गंगा की अविरलता को लेकर पटना में आयोजित सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे सिंह ने आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में कहा, “बिहार आंदोलनों की भूमि रही है। महात्मा गांधी को भी बिहार ने ही ‘बापू’ बनाया। गंगा को बचाने के लिए अगर कोई बड़ा आंदोलन होगा तो वह बिहार से ही शुरू होगा।”

सिंह मानते हैं कि गंगा नदी का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 11 राज्यों से संबंध रहा है। उत्तर प्रदेश और बिहार के विकास में 40 प्रतिशत हिस्सा गंगा से आता है। कृषि आधारित राज्य होने के कारण बिहार में गंगा की महत्ता और बढ़ जाती है। इस कारण बिहार के लिए आवश्यक है कि गंगा की अविरलता बनी रहे।

बिहार में सुखाड़ और बाढ़ के संबंध में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि बिहार में जल प्रबंधन सही ढंग से करने की जरूरत है। जिन क्षेत्रों में सुखाड़ की स्थिति बनती हो, वहां तालाब बनाए जाने चाहिए। नदियों की अविरलता बनाए रखने में तालाबों का बड़ा योगदान हो सकता है।

‘जल जन जोड़ो’ अभियान के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा, “सुखाड़ की संभावना वाले क्षेत्रों में समेकित और एकीकृत पानी की जरूरत है। जहां पानी ज्यादा है, वहां जलप्रबंधन की जरूरत है।”

उन्होंने पश्चिम बंगाल के फरक्का बांध की चर्चा करते हुए कहा कि इसे तोड़ने की नहीं, बल्कि गंगा की अविरलता को लेकर इसके विज्ञानपरक अध्ययन की जरूरत है।

‘जल जन जोड़ो अभियान’ के विषय में पूछे जाने पर उन्होंने आईएएनएस को बताया कि यह एक राष्ट्रव्यापी अभियान है जो पूरे देश में पानी यानी तालाब, नदियों तथा अन्य जलस्रोतों के संरक्षण का काम करने वाले संगठनों और व्यक्तियों का साझा करने का मंच है। यह कोई पंजीकृत संस्था नहीं है और न ही यह कोई स्वयंसेवी संगठन है। बल्कि यह सिविल सोसाइटी की तरह काम करता है। इसकी शुरुआत अप्रैल 2013 में हुई थी।

उन्होंने बताया, “वर्तमान समय में 20 राज्यों में यह अभियान सक्रिय रूप से काम कर रहा है। अलग-अलग राज्यों में इसकी सक्रियता के कारण अलग-अलग परिवेश और बोली वाले लोग इसमें सक्रिय हैं।”

संजय ने कहा कि बारिश भले ही अच्छी हो लेकिन हमें जल के उपयोग का अनुशासन बनाना चाहिए। लोगों को जल साक्षरता के लिए प्रेरित करना होगा। जल की साक्षरता स्वच्छता के बिना नहीं टिक सकती है। स्वच्छता के बिना जल नहीं टिक सकता है। जल और जल की स्वच्छता तभी मुमकिन है, जब हमारे मन में जल के प्रति प्रेम और सम्मान होगा।

उल्लेखनीय है कि गंगा को अविरल बनाने के लिए पटना में शनिवार और रविवार को दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसमें देश व विदेश के कई पर्यावरणविदों ने हिस्सा लिया था।

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