नई दिल्ली, 5 जून (आईएएनएस)। विश्व पर्यावरण दिवस पर इस साल का थीम है ‘वन्य प्राणियों का गैरकानूनी व्यपार’ जो कि अब चरम सीमा पर पहुंच चुका है। इस वजह से न सिर्फ बाघों, हिरनों और हाथियों को नुकसान हो रहा है बल्कि यह अन्य कई प्रजातियों के लिए भी खतरा पैदा कर रहा है।
इस बारे में जागरूकता फैलाते हुए हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ केके अग्रवाल ने कहा कि देश में जैविक-विभिन्नता की बहुतायत को देखते हुए हमें संतुलित जीवन के बारे में सोचना चाहिए। अवांछित गतिविधियां जो कई प्रजातियों के खत्म होने का कारण बन रही हैं, के खिलाफ जागरूकता मुहिम, संरक्षण और नीतियां सफलतापूर्वक बनाई गई हैं। वन्य जीवन को बचाने और पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए इन कानूनों को स़ख्ती से लागू करवाना चाहिए क्योंकि पर्यावरण और आम लोगों के लिए यह बेदह जरूरी है। गैरकानूनी वन्यजीव उत्पादों की मांग खत्म करने के लिए लोगों को आगे आना चाहिए।
उन्होंने कहा कि उपकरणों और सुविधाओं की कमी की वजह से जीवों का गैरकानूनी व्यपार फल फूल रहा है। तेजी से खत्म हो रही प्रजातियों को रोकना समय की प्रमुख मांग है। इसलिए जरूरी है कि ग्लोबल स्तर पर पर्यावरण को सुरक्षित रखने के विभिन्न तरीकों के बारे में जागरूकता फैलाई जाए, ताकि वन्य जनजीवन को बचाया जा सके।
दुर्लभ जीवों के अंगों की मांग और आपूर्ति की वजह से जंगलों में आवाजाही बढ़ रही है। स़ख्त कानूनों के बावजूद बाहरी ताकतें गैरकानूनी तरीके से लाए गए जंगली जीवों को कानूनी बाजार में दाखिल करवा रही हैं।
कुछ सुझाव
-जिन देशों ने वन्यजीव प्रजातियों के संरक्षण का प्रण लिया है उनकी सहायता करना।
-वन्यजीव अपराधों को रोकने में मदद करने के लिए आर्थिक सहायता करना।
-कानूनों को लागू करवाने के प्रयासों और तकनीक के प्रयोग के साझे उपक्रम के साथ जंगली जीव व्यापार के खिलाफ पहल।
-जीवों के बॉय प्रॉडक्ट की मांग को कम करने के लिए पहल पर आधारित योजना बनानी चाहिए।
-जंगली जीवन को खतरा बन रही गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए जोरदार मुहिम चलानी चाहिए।