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 जयललिता मामले में फैसला सुरक्षित | dharmpath.com

Tuesday , 17 June 2025

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जयललिता मामले में फैसला सुरक्षित

नई दिल्ली, 7 जून (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने कर्नाटक सरकार की उस अपील पर आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें उसने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता और तीन अन्य को भ्रष्टाचार के मामले में आरोप मुक्त करने को चुनौती दी है। कर्नाटक सरकार ने छह कंपनियों की संपत्ति भी जब्त करने मांग की है, जिनका कथित इस्तेमाल अवैध तरीके से अर्जित संपत्ति को छुपाने के लिए किया गया।

न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष एवं अमिताभ राय की अवकाशकालीन पीठ से कर्नाटक सरकार के वकील ने कहा कि इन कंपनियों का इस्तेमाल अवैध रूप से अर्जित कमाई रखने के गोदाम के रूप में किया गया, जिसके लिए सुनवाई के दौरान कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है।

बेंगलुरू की एक अदालत ने 24 सितंबर, 2014 के फैसले में इन छह पंजीकृत कंपनियों के नाम की जितनी संपत्तियां हैं, उन्हें जब्त करने का निर्देश दिया था। हालांकि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 11 मई, 2014 के फैसले में इस जब्ती आदेश को दरकिनार कर दिया।

कर्नाटक सरकार ने उच्च न्यायालय के 11 मई के आदेश के खिलाफ अपील की है, जिसने निचली अदालत द्वारा जयललिता, उनकी सहयोगी एन. शशिकला नटराजन और उनके दो रिश्तेदारों वी.एन. सुधाकरन व इलावारसी को आय के ज्ञात स्रोतों से 66.65 करोड़ रुपये अधिक संपत्ति के मामले में दोषी करार देने के फैसले को उलट दिया था। यह संपत्ति कथित रूप से जयललिता के मुख्यमंत्री के रूप में पहले कार्यकाल 1991 से 1996 के बीच अर्जित की गई है।

कर्नाटक की ओर से पेश वकील सिद्धार्थ लूथरा ने पीठ से कहा कि ये कंपनियां इनके पहले के निदेशकों को हटाकर उनकी जगह शशिकला नटराजन, सुधाकरन और इलावारसी को निदेशक बनाने के बाद अधिग्रहीत की गईं। इसके बाद खाते खोले गए और उन खातों में बड़ी राशि जमा की गई।

ये कंपनियां हैं -इंडो-दोहा केमिलकल्स एंड फर्मास्यूटिकल्स, एलेक्स प्रोपर्टी डेवलपमेंट, मिंडोस एग्रो फार्म्स लिमिटेड, रिवरवे एग्रो प्रोडक्ट्स, रामराज एग्रोमिल्स और सिग्नोरा बिजनेस इंटरप्राइजेज।

लूथरा ने पीठ से कहा कि इन कंपनियों ने बैंकों से जो कर्ज लिए उनके अलावा इन कंपनियों को जयललिता एवं नटराजन से भी पैसे मिलते रहे। यह पर्दे के पीछे का ऐसा मामला है, जिसे कोई भी देख सकता है।

इन कंपनियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि निचली अदालत ने इन कंपनियों को नोटिस जारी किए या इनकी बात सुने बगैर ही आदेश जारी कर दिया था।

पीठ ने सभी पक्षों को शुक्रवार तक अपनी बात लिखित रूप में पेश का समय दिया है।

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