झाबुआ, 15 सितंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में हुए विस्फोट में घायल एक और व्यक्ति की मंगलवार को मौत हो गई। इसके साथ ही मरने वालों की संख्या 88 से बढ़कर 89 हो गई है, साथ ही घटनास्थल के करीब मानव अंगों के मिलने का सिलसिला जारी है। हादसे के लिए जिम्मेदार राजेंद्र कासवा के करीबियों से पुलिस पूछताछ कर रही है।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सीमा अलवा ने आईएएनएस को बताया कि एक घायल की मौत हो जाने की सूचना मिली है। मरने वालों की संख्या बढ़कर 89 हो गई है।
सूत्रों का दावा है कि एक शव सोमवार की रात उस इमारत की छत पर मिला था, जो विस्फोट के कारण क्षतिग्रस्त हुई थी।
गुजरे शनिवार की सुबह पेटलावद के न्यू बस स्टैंड के करीब स्थित सेठिया होटल में गैस सिलेंडर फटने और उसी वक्त होटल के करीब ही स्थित राजेंद्र कासवा के गोदाम में खनन कार्य के लिए रखे विस्फोटकों में विस्फोट हो जाने से 88 लोगों की जान चली गई। इस हादसे में अन्य 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए, जिनमें से कई की हालत गंभीर है। घायलों का उपचार इंदौर, रतलाम, धार व दाहोद के विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है।
विस्फोट इतना जबर्दस्त था कि कई लोगों के शरीर के चीथड़े उड़ गए और शव उछलकर कई-कई मीटर दूर जा गिरे। इन्हीं में से कई लोगों के अंग आसपास के मकानों की छतों पर मिलने का क्रम जारी है।
पुलिस अधीक्षक जी.जी. पांडे ने मानव अंगों के मिलने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि घटनास्थल के आसपास के मकानों के ऊपरी हिस्से की तलाशी ली जा रही है, ताकि कहीं कोई मानव अंग पड़ा हो तो उसे एकत्र किया जा सके।
इस हादसे के मुख्य आरोपी विस्फोटकों के गोदाम के मालिक कासवा की तलाशी के लिए पुलिस का अभियान जारी है। इस हादसे के लिससिले में अभी तक किसी को हिरासत में नहीं लिया गया है। पुलिस फरार कासवा के करीबियों से पूछताछ कर रही है।
सूत्रों की मानें तो कासवा को लेकर पुलिस के सामने दो बातें आ रही हैं। कुछ लोगों का कहना है कि कासवा विस्फोट के समय मौके पर मौजूद था। वहीं कुछ लोग घटना के बाद उसके सपरिवार फरार होने की पुष्टि कर रहे हैं। यह भी बताया जा रहा है कि उसे एक प्रभावशाली नेता शहर के बाहर छोड़कर आया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजेंद्र कासवा पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया है। उनके निर्देश पर जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने पेटलावद का दो बार दौरा कर आरोपी को जल्द पकड़े जाने का भरोसा दिलाया था, मगर तीन दिन बाद भी पुलिस को कासवा का कोई सुराग हाथ नहीं लगा है।