नई दिल्ली, 21 अप्रैल (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लोकसेवकों से आग्रह किया कि वे अपना गैर सामंजस्यकारी रवैया छोड़ें और एक टीम के रूप में काम करें।
लोक सेवा दिवस के अवसर पर लोकसेवकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे आग्रह किया कि वे सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखें, प्रतिकूल परिस्थितियों को अवसर में बदलें और पूर्णता के लिए प्रयास करते रहें।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक हस्तक्षेप अनुचित है, लेकिन लोकतंत्र में जनता के अनुरूप शासन सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक हस्तक्षेप जरूरी हो गया है।
स्वतंत्र भारत के लोकसेवा पर सरदार वल्लभ भाई पटेल की परिकल्पना को याद करते हुए उन्होंने कहा कि सामाजिक-आर्थिक अन्याय मिटाना भी लोकसेवा का उद्देश्य होना चाहिए।
मोदी ने कहा कि पूरे प्रशासनिक तंत्र को समाज की आवश्यकताओं की सेवा करने के लिए सक्षम बनाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने गोल्डमैन-सैश की एक रपट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि भारत को सरकार प्रभावशीलता के संबंध में एशियाई औसत तक पहुंचने में एक दशक का समय लगेगा।
मोदी ने कहा, “शीलम परम भूषणम (चरित्र सर्वोच्च गुण है)। उन्होंने लोकसेवकों से आग्रह किया कि वे सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखें और अपने परिवार के साथ भी अच्छा समय व्यतीत करें।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “आपका जीवन एक फाइल नहीं बनना चाहिए।”
उन्होंने इस दौरान 2012-13 और 2013-14 के लिए ‘अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन’ प्रदान किए।
सुशासन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए जवाबदेही, जिम्मेदारी और पारदर्शिता की कला की जरूरत होती है।
प्रधानमंत्री ने वरिष्ठ लोकसेवा अधिकारियों से आग्रह किया कि वे युवाओं को लोकसेवा से जुड़ने के लिए प्रेरित करें, ताकि सरकार को बेहतरीन प्रतिभाएं मिल सकें।
मोदी ने कहा कि सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने लोकसेवकों से संस्थागत स्मरणशक्ति विकसित करने का आग्रह किया।
इस अवसर पर उन्होंने ‘बेस्ट प्रैक्टिसेज-टुमॉरो इज हियर’ पुस्तक का भी विमोचन किया।