शाहजंहापुर के फेसबुकिया पत्रकार और जांबाज जागेंद्र सिंह की पुलिस द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री राममूर्ति वर्मा के कथित इशारे पर आग लगाकर हत्या कर दिए जाने के सनसनीखेज मामले ने पूरे सूबे को कुछ दिनों के लिए हिलाकर रख दिया था।
शाहजंहापुर के फेसबुकिया पत्रकार और जांबाज जागेंद्र सिंह की पुलिस द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री राममूर्ति वर्मा के कथित इशारे पर आग लगाकर हत्या कर दिए जाने के सनसनीखेज मामले ने पूरे सूबे को कुछ दिनों के लिए हिलाकर रख दिया था।
दिवंगत पत्रकार जागेंद्र सिंह के पूरे परिवार ने मंत्री राममूर्ति वर्मा पर हत्या कराने का आरोप लगाते हुए मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर कई दिनों तक धरना-प्रदर्शन भी किया था और प्रदेशभर के बुद्धिजीवियों और पत्रकारों ने जुलूस भी निकाले थे और धरना भी दिया था। लोगों ने अपने-अपने ढंग अपने आक्रोश को व्यक्त किया था।
बाद में तेज-तर्रार युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पीड़ित परिवार को 30 लाख रुपये नकद देने और जागेंद्र सिंह के दो बच्चों को सरकारी नौकरी देने का आश्वासन देकर मामला सुलटा लिया था। पीड़ित परिवार ने भी आंदोलन खत्म कर दिया था।
मीडिया और सरकार विरोधियों ने दिवंग जागेंद्र सिंह को शहीद का दर्जा दे दिया था।
यह था दृश्य एक।
दृश्य दो :
कुछ दिन पूर्व मैं अपने मित्रों से चर्चा कर रहा था कि जागेंद्र के परिजन मंत्री और पुलिस का विरोध करने के बाद छोटे से शहर में किस तरह की जिंदगी जी रहे होंगे? निश्चित रूप से घोर अपमानजनक स्थिति होगी। सरकार के मंत्री और पार्टी की फजीहत कराकर चैन से जीना अति दुष्कर कार्य है। खासकर उस महिला का जीवन कैसा होगा, जो जागेंद्र के पक्ष में खड़ी हुई थी और मंत्री के ऊपर खुलकर आरोप लगाए थे।
भारतीय फिल्मों और खासकर दक्षिण की फिल्मों में इस तरह की जो सिचुएशन दिखाई जाती है, उसमें तो अंत बहुत बुरा होता है। या तो वे खलनायक के कुत्ते बनकर रह जाते हैं या फिर किसी दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।
दृश्य तीन :
एक खबर अखबार में छपी कि जागेंद्र सिंह का साथ देने वाली महिला ने कोर्ट में लिखित बयान देकर अपनी गलती मांगी है कि उसने मंत्री के ऊपर जो आरोप लगाए थे, वे सब फर्जी हैं। ये आरोप उसने जागेंद्र के उकसावे में ही मंत्री के ऊपर लगाए थे। बयान बदलते हुए उसने यहां तक कह दिया कि जागेंद्र का मकसद मंत्री को ब्लैकमेल कर लंबी वसूली करना था। माननीय अदालत ने महिला के बयान को स्वीकार कर मंत्री के खिलाफ चल रहे मामले को खत्म कर दिया।
दृश्य चार :
एक समाचार पत्र में पृष्ठ एक पर ही एक सिंगल कालम खबर पढ़ी कि पत्रकार जागेंद्र के बेटे राहुल ने मंत्री राममूर्ति वर्मा को निर्दोष बताया है। खबर का शेष अंश पृष्ठ 13 पर था। खबर के अनुसार, जागेंद्र के बेटे राहुल ने प्रेस क्लब में सुप्रीम कोर्ट के एक वकील की मौजूदगी में पत्रकारों को बताया कि मंत्री जी निर्दोष हैं। उसके पिता जागेंद्र ने खुद ही अपने को आग लगाई थी और मंत्री जी पर झूठा आरोप लगाया था।
उसने कहा, “मंत्री जी ने हमें कभी नहीं धमकाया। विरोधियों के दबाव में आकर मेरे पिता ने खुद को आग लगाकर मंत्री को आरोपित कर दिया था। हम लोग भी विरोधियों के दबाव में आ गए थे। मंत्री जी की लोकप्रियता से घबराकर विरोधी उनके खिलाफ हो गए हैं और उन्हीं की साजिश के हम भी शिकार हो गए।”
राहुल ने कहा कि उसे पुलिस पर भी पूरा भरोसा है। राहुल ने यह भी स्पष्ट किया कि वह मंत्री के दबाव में नहीं है और न ही पैसे लेकर कोई समझौता किया है। उसने आत्मविश्वास के साथ कहा कि वह राजपूत है और राजपूतों ने हमेशा सच्चाई का ही साथ दिया है।
कहानी खत्म।
यही कहा जाएगा न कि अंतत: सच्चाई सामने आ ही गई। आप लोगों के मन में शंका के बादल उमड़-घुमड़ रहे होंगे और मन में आप कोई न कोई अनुमान लगा रहे होंगे। लेकिन तथ्य आपके सामने हैं- फैसला आप क्या करेंगे-भावनाओं के आधार पर या तथ्यों के आधार पर? एक राजपूत और युवा बेटे ने आग से जलकर अपने पिता की मौत के बाद जो कुछ बयान दिया, उसे सच्चाई न मानने के पीछे आपके पास जरूर कोई कटु अनुभव होगा। उस अनुभव को मन में रखिए और वक्त के साथ आगे बढ़िए–एक.दो.तीन.चार.कदमताल..परेड आगे बढ़ेगा .जय हिंद.!
शायद इसी सिचुएशन पर किसी शायर ने लिखा होगा- दोस्त-दोस्त न रहा..प्यार-प्यार न रहा..या फिर- देते हैं भगवान को धोखा..इंसा को क्या छोड़ेंगे..कस्मे वादे..प्यार वफा सब बाते हैं बातों क्या.! (आईएएनएस/आईपीएन)
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और एक राष्ट्रीय हिंदी दैनिक के संपादक हैं)