कोलकाता, 18 जून (आईएएनएस)। कानून के जानकारों ने नारद न्यूज के स्टिंग ऑपरेशन की जांच कराने के पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं, क्योंकि कलकत्ता उच्च न्यायालय इस मामले की पहले से जांच करा रही है।
स्टिंग को एक प्रतिकूल सार्वजनिक प्रतिक्रिया उत्पन्न करने के लिए एक उकसावा और साजिश करार देते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को स्टिंग की जांच का आदेश दिया था। जांच कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार करेंगे।
समाचार पोर्टल नारद न्यूज के स्टिंग में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक दर्जन नेताओं को एक काल्पनिक कंपनी की मदद करने का वादा करने के एवज में धन लेते हुए दिखया गया है, जिनमें टीएमसी के पूर्व केंद्रीय मंत्रियों, राज्य के कद्दावर मंत्रियों और सांसद शामिल हैं।
विधि विशेषज्ञों ने कहा कि सरकार द्वारा दिए गए जांच के आदेश न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप है, क्योंकि स्िंटग की स्वतंत्र जांच की मांग वाली कई जनहित याचिकाओं पर उच्च न्यायालय सुनवाई कर रहा है।
सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए.के.गांगुली ने आईएएनएस से कहा, ” उच्च न्यायालय ने टेपों की फॉरेंसिक जांच का आदेश दिया है और मामले की सुनवाई करने जा रही है। इसलिए जब मामला न्यायालय में लंबित है तो इस तरह की जांच का आदेश देना पूर्णत: अनुचित है।”
जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लुर और न्यायमूर्ति ए.बनर्जी की खंडपीठ ने गत 29 अप्रैल को नारद न्यूज की टेपों की फॉरेंसिक जांच हैदराबाद स्थित केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशला (सीएफएसएल) मंे कराने का आदेश दिया था।
मामले से जुड़े अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि वह बनर्जी सरकार के जांच कराने फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।
भट्टाचार्य ने आईएएनएस से कहा, “दरअसल, जांच आदेश जांच को पटरी से उतारने की राज्य सरकार की भावना को दर्शाता है। उच्च न्यायालय इस मामले में आदेश देने पर विचार कर ही रहा था।”
उन्होंने कहा, “यह अदालत के आदेश में हस्तक्षेप है। हमलोग सरकार के फैसले के खिलाफ सोमवार को उच्च न्यायालय जाएंगे।”
हालांकि इस मामले को लेकर एक जनहित याचिका दायर करने वाले रामा प्रसाद सरकार ने राज्य सरकार की पहल का स्वागत किया।
इस बीच राज्य सरकार के फैसले की खिल्ली उड़ाने पर तृणमूल कांग्रेस ने माकपा के राज्य सचिव सूर्यकांत मिश्र की आलोचना की है।