वाशिंगटन, 8 सितम्बर (आईएएनएस)। गुजरात में आरक्षण के लिए पटेलों के आंदोलन की गूंज अमेरिकी मीडिया में भी सुनाई दे रही है। न्यूयार्क टाइम्स ने लिखा है कि “अपेक्षाकृत पैसे वाली जाति” का यह आंदोलन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुधार योजनाओं के लिए बड़ी चुनौती है। इससे यह भी समझ में आ रहा है कि भारत में रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।
न्यूयार्क टाइम्स ने मंगलवार को अपने संपादकीय में लिखा कि पटेलों का प्रदर्शन “एक बड़ी समस्या की ओर इशारा करता है कि भारत में रोजगार के पर्याप्त अवसर नहीं पैदा हो रहे हैं।” अखबार ने इसे “भारत के मध्य वर्ग का विद्रोह” बताया है।
अखबार ने लिखा है, “यह मोदी के लिए एक बड़ी चुनौती है, जिन्होंने अपना राजनैतिक करियर सुधार और ठहरी हुई अर्थव्यवस्था को आधुनिक बनाने के वादे के साथ बनाया है।”
अखबार ने लिखा है, “मोदी की चुनावी जमीन से संबद्ध पांच लाख पटेलों ने बीते महीने अपनी मांग के समर्थन में रैली की। इसे प्रधानमंत्री की आर्थिक नीतियों की मलामत ही कहा जाएगा।”
अखबार ने लिखा है, “भारत की एक अरब 20 करोड़ की आबादी में से आधी 25 साल या इससे भी कम की है। ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा करना इस समय की बड़ी मांग है। ऐसे में इस बात पर ताज्जुब नहीं होना चाहिए कि युवा भारतीय, खासकर पटेलों जैसे मध्य वर्ग से जुड़े हुए युवा हताशा महसूस कर रहे हैं।”
संपादकीय में लिखा गया है, “बीते साल आम चुनाव से पहले मोदी ने उन नीतियों से रोजगार सृजन का वादा किया था जिनसे गुजरात की अर्थव्यवस्था को गति मिली थी। लेकिन, अभी तक वह राष्ट्रीय स्तर पर कई कानूनों को बदल पाने में असमर्थ साबित हुए हैं।”
न्यूयार्क टाइम्स ने संपादकीय में पूछा है कि मोदी के गृहराज्य में प्रदर्शन से यह सवाल भी उठा है कि गुजरात के आम लोगों के लिए उनकी नीतियां किस हद तक सफल रही हैं।
संपादकीय में लिखा गया है, “अगर वह (मोदी) जल्द ही नतीजा नहीं दिखाते तो फिर उन्हें चुनकर सत्ता में लाने वाला युवा उन्हें ऐसे ही चुनकर सत्ता से बेदखल भी कर सकता है।”