हैदराबाद, 25 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय पर्वतारोही मल्ली मस्तान बाबू को आंध्र प्रदेश में उनके पैतृक गांव में शनिवार को दफना दिया गया। इस दौरान उन्हें लोगों ने अश्रुपूर्ण अंतिम विदाई दी।
मस्तान बाबू की अर्जेटीना एवं चिली के बीच एक पर्वत पर चढ़ाई करने के दौरान खराब मौसम की चपेट में आने से मौत हो गई थी। उनके पार्थिव शरीर को राजकीय सम्मान के साथ नेल्लोर जिले में गांधीजन संगम में पारिवारिक कब्रगाह में दफनाया गया।
मस्तान बाबू के पार्थिव शरीर को फूलों से सजी गाड़ी में राष्ट्रीय ध्वज से लिपटे ताबूत में अंतिम संस्कार के लिए लाया गया। उनकी अंतिम यात्रा में शामिल लोग ‘मस्तान बाबू अमर रहे’ के नारे लगा रहे थे।
पुलिस बैंड ने विशेष धुन बजाकर मस्तान बाबू को श्रद्धांजलि दी और जैसे ही ताबूत को कब्र में डाला जाने लगा पुलिस के जवानों ने बंदूक की सलामी दी।
इससे पहले, केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू, राज्य के मंत्री पी. रघुनाथ रेड्डी, पी. नारायण, आर. किशोर बाबू और अधिकारियों ने मस्तान बाबू को श्रद्धांजलि दी। नायडू ने मस्तान बाबू की मां और उनके परिवार के साथ संवेदना जताते हुए कहा कि उनकी मौत देश और राज्य के लिए बहुत बड़ी क्षति है।
मस्तान बाबू के अंतिम दर्शन के लिए आसपास के गांवों के लोग भी बड़ी संख्या में जुटे थे।
उनके पार्थिव शरीर को शुक्रवार को अर्जेटीना से पहले दिल्ली लाया गया। उसके बाद विमान से चेन्नई भेजा गया, जहां से सड़क मार्ग से उसे उनके गांव भेजा गया।
मस्तान बाबू केरो ट्रेस क्रूसेज सुर पर्वत पर चढ़ाई करने के दौरान 24 मार्च से लापता थे। तीन अप्रैल को उन्हें मृत पाया गया था। लेकिन खराब मौसम के कारण उनका शव बरामद नहीं हो पाया था।
मस्तान बाबू को ‘फास्टेस्ट सेवेन सम्मिटर’ की उपाधि हासिल थी। वह अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी माउंट विंसन मैसिफ को फतह करने वाले पहले भारतीय थे और एवरेस्ट पर जाने वाले आंध्र प्रदेश के पहले पर्वतारोही थे।