लखनऊ, 29 नवंबर (आईएएनएस/आईपीएन)। नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान के राज्य संग्रहालय में रविवार को पाण्डुलिपियों के जरिए भारत समेत विश्व के इतिहास की झलक दिखाई गई। प्राचीन पाण्डुलिपियों के इतिहास से छात्र व कला प्रेमी रूबरू हुए। सभी को हजारों वर्ष पूर्व शैल चित्र की भी जानकारी दी गई।
लखनऊ, 29 नवंबर (आईएएनएस/आईपीएन)। नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान के राज्य संग्रहालय में रविवार को पाण्डुलिपियों के जरिए भारत समेत विश्व के इतिहास की झलक दिखाई गई। प्राचीन पाण्डुलिपियों के इतिहास से छात्र व कला प्रेमी रूबरू हुए। सभी को हजारों वर्ष पूर्व शैल चित्र की भी जानकारी दी गई।
सोलह दिसम्बर तक चलने वाले इस कला अभिरुचि व प्रशिक्षण कार्यक्रम में हर रोज भारतीय इतिहास की सभ्यताओं व कलाओं का प्रदर्शन किया जाएगा।
इस मौके पर संग्रहालय के पूर्व सहायक निदेशक आईपी पाण्डेय ने प्रोजेक्टर के माध्यम से बताया कि सुमेरियन, फिनिशियन आदि लिपियों का जन्म हुआ। जिसे पुरातत्ववेत्तओं ने लगभग 4000 ई.पूर्व का माना है।
उन्हांेने बताया कि भारत मंे सिंधु संस्कृति, जोकि लगभग 3500-2500 ई.पूर्व की मानी जाती है, उसकी लिपि पढ़ना संभव हो गया है। इसके अतिरिक्त दुर्लभ, प्राचीनकाल से लेकर आधुनिक काल की विभिन्न भाषाओं की पाण्डुलिपि के बारे में भी विस्तार से बताया।