नई दिल्ली, 13 दिसम्बर (आईएएनएस)। देश का पैकेट बंद खाद्य उत्पाद बाजार 2017 तक बढ़कर 50 अरब डॉलर का होने की संभावना है, जो इस समय 32 अरब डॉलर का है।
एसोसिएटेड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) द्वारा रविवार को जारी एक सर्वेक्षण में कहा गया है, “महानगरों में खान-पान की आदतों में काफी बदलाव हुआ है। दोहरी आय, जीवन स्तर बेहतर होने और सुविधा के कारण करीब 79 फीसदी घरों में इंस्टैंट फूड उत्पाद पसंद किए जाने लगे हैं।”
सर्वेक्षण के मुताबिक, बड़े शहरों में आज 76 फीसदी कामकाजी माता-पिता, जिनके पांच साल से कम उम्र के बच्चे हैं, हर महीने कम से कम 10-12 मर्तबा इंस्टैंट यानी पैकेट बंद खाद्य उत्पादों का उपयोग करते हैं।
एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने एक बयान में कहा, “शहरी क्षेत्रों और खासकर महानगरों में जहां भाग-दौड़ ज्यादा है, पैकेट बंद खाद्य उत्पादों की खपत ज्यादा है। इसके कारण इन बाजारों में कंपनियां पैकेट बंद खाद्य उत्पाद अधिक पेश करती हैं।”
सर्वेक्षण के मुताबिक, पैकेट बंद खाद्य उत्पादों की 80 फीसदी मांग शहरों में है।
पैकेट बंद खाद्य उत्पादों में मुख्यत: दुग्ध उत्पाद, कैन्ड या प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद, सीधे खाने के लिए तैयार उत्पाद, डायट स्नैक्स, प्रसंस्कृत मांस, स्वास्थ्य उत्पाद और पेय पदार्थ शामिल हैं।