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 बड़वानी कांड : ‘सरकार चाहे तो लौट सकती है आंखों की रोशनी’ | dharmpath.com

Monday , 16 June 2025

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बड़वानी कांड : ‘सरकार चाहे तो लौट सकती है आंखों की रोशनी’

भोपाल, 19 जनवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के बड़वानी में मोतियाबिंद ऑपरेशन कांड पर सामाजिक संगठनों द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि अगर मध्य प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य महकमा कुछ सकारात्मक प्रयास करें तो बड़वानी के 17 लोग एक बार फिर अपनी आंखों से दुनिया देखने लगेंगे। ये वे लोग हैं, जिनके मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद उन्हें बहुत कम दिखाई दे रहा है।

तीन सामाजिक संगठनों ने मंगलवार को आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में अपनी सर्वेक्षण रपट जारी की। रपट में कहा गया है कि 17 मरीज ऐसे हैं जिनकी आंखों की हालत गंभीर है। लेकिन, अब भी इस बात की संभावना है कि अगर उन्हें बेहतर चिकित्सा सहायता मिल जाए तो उनकी आंखों की रोशनी लौट सकती है।

इन तीन सामाजिक संगठनों में जन स्वास्थ्य अभियान, नर्मदा बचाओ आंदोलन और स्वास्थ्य अधिकार मंच शामिल हैं।

जन स्वास्थ्य अभियान के अमूल्य निधि ने संवाददाताओं से कहा, “ऑपरेशन करा चुके 17 मरीज ऐसे हैं, जिनकी आंखों की हालत गंभीर है। लेकिन, अभी भी इस बात की संभावना है कि अगर उन्हें उपचार और बेहतर चिकित्सा मिल जाए तो उनकी आंखों की रोशनी में सुधार हो सकता है।”

सर्वेक्षण का हिस्सा रहीं शमारुख मेहराधारा ने कहा, “पीड़ित लगातार अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं, मगर उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। अगर अब भी, समय रहते इन मरीजों को चिकित्सा सुविधा मिल जाए तो इन्हें कुछ दिखने लगेगा।”

इन सामाजिक संगठनों ने बड़वानी के प्रभावितों का लगातार दो बार सर्वेक्षण किया। दूसरी बार वे उन 19 मरीजों के पास पहुंचे, जिन्हें किसी तरह की स्वास्थ्य सुविधा का लाभ नहीं मिला है।

रपट में कहा गया है, “शिविर में ऑपरेशन कराने वाले 19 ऐसे लोग हैं, जिन्हें न तो बाद में उपचार मिला और न मुआवजा मिला और न पेंशन का लाभ ही मिला। ये लोग अब भी बड़वानी जिला मुख्यालय के चक्कर लगा रहे हैं।”

सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि “अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली से आए चिकित्सकों के दल ने माना था कि ऑपरेशन के दौरान उपयोग में लाए गए तरल पदार्थ के चलते संक्रमण फैला था। लेकिन, अगली जांच में ऑपरेशन थिएटर में संक्रमण की बात कही गई। अब तक चार जांच हो चुकी है, मगर कोई भी जांच रपट सार्वजनिक नहीं की गई है।”

डॉ. एस.आर.आजाद और संध्या शैली ने राज्य में जारी दवा खरीद नीति पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, “काली सूची की दवा कंपनियों को कुछ समय के लिए इस सूची से बाहर निकालकर दवा खरीद ली जाती है। यही कारण है कि बड़वानी और फिर श्योपुर में कई मरीज आंखों की रोशनी गंवा देते हैं।”

उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में दवा खरीद में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हो रही है और मंत्री से लेकर जिलास्तर तक के अधिकारी इसमें शामिल हैं।

उन्होंने कहा, “बड़वानी कांड में एक चिकित्सक को निलंबित किया गया है, जबकि शेष आरोपियों को बचाने की मुहिम जारी है। यही कारण है कि जांच रपट को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है।”

उल्लेखनीय है कि बड़वानी जिले में सरकारी अस्पताल में बीते वर्ष 16 से 24 नवंबर तक मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर लगा था। 86 बुजुर्गो (अधिकांश आदिवासी) ने इस शिविर में ऑपरेशन कराए थे। इनमें से अधिकांश मरीजों ने ऑपरेशन के बाद दिखाई न देने की शिकायत की। बाद में पाया गया कि 65 मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई है। सरकार ने इनके लिए दो-दो लाख रुपये मुआवजे और पांच हजार रुपये मासिक पेंशन की घोषणा की थी।

बड़वानी कांड : ‘सरकार चाहे तो लौट सकती है आंखों की रोशनी’ Reviewed by on . भोपाल, 19 जनवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के बड़वानी में मोतियाबिंद ऑपरेशन कांड पर सामाजिक संगठनों द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि अगर मध्य प्रदेश सरक भोपाल, 19 जनवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के बड़वानी में मोतियाबिंद ऑपरेशन कांड पर सामाजिक संगठनों द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि अगर मध्य प्रदेश सरक Rating:
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