Thursday , 9 May 2024

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बहुत से देश नहीं कर रहे बुजुर्गों की मदद

0,,17012300_303,00दुनिया भर में आबादी के साथ साथ जीवन दर भी बढ़ रहा है. लेकिन संयुक्त राष्ट्र के एक सर्वे के अनुसार ज्यादातर देश अपनी वृद्ध होती आबादी की मदद करने को तैयार नहीं हैं. भारत भी इन देशों में शामिल है.

संयुक्त राष्ट्र और वृद्धों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली संस्था हेल्पएज के सर्वे में स्वीडन पहले नंबर पर और अफगानिस्तान सबसे नीचे हैं. इस रिपोर्ट में वही बातें सामने आईं हैं, जिसकी चेतावनी बुजुर्ग अधिकारों के लिए लड़ रही संस्थाएं काफी दिनों से दे रही हैं. दुनिया के अधिकांश देश तेजी से वृद्ध हो रही अपनी आबादी की जरूरतों से निबटने के लिए तेजी से कदम नहीं उठा रहे हैं. मानव इतिहास में पहली बार 2050 में 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों की संख्या 15 साल से कम के बच्चों से अधिक होगी. रिपोर्ट के अनुसार तेजी से बूढ़े हो रहे देश जॉर्डन, लाओस, मंगोलिया और वियतनाम जैसे विकासशील देश हैं, जहां की आबादी 2050 तक तिगुनी हो जाएगी.

काम करने को मजबूर

जीवन यापन के लिए वृद्धावस्था में भी कियॉस्क चलाने को मजबूर वियतनाम के 65 वर्षीय ट्रुओंग टीन थाओ कहते हैं, “मेरी उम्र के लोगों को आराम करना चाहिए, लेकिन दो जून की रोटी कमाने के लिए मुझे अभी भी काम करना पड़ता है.” उन्हें और उनकी 61 वर्षीया पत्नी को न तो कोई पेंशन मिलती है, ना ही उनके पास कोई हेल्थ इंश्योरेंस है. “मुझे डर लगता है कि कहीं बीमार न पड़ जाऊं. मुझे पता नहीं कि मैं डॉक्टर का खर्च कैसे चुकाऊंगा.”

मंगलवार को जारी सर्वे में 91 देशों में सामाजिक और आर्थिक कल्याण की रैंकिंग है. इसमें स्वीडन के अलावा नॉर्वे और जर्मनी को वृद्ध लोगों के रहने के लिए सबसे अच्छी जगह बताया गया है. स्वास्थ्य, आय और सामाजिक अधिकारों जैसों मुद्दों पर पहली व्यापक रिपोर्ट कहे जा रहे ग्लोबल एज वॉच इंडेक्स के अनुसार अधिकांश देश बुजुर्ग नागरिकों को सुरक्षित भविष्य देने की चुनौती के लिए तैयार नहीं हैं.

अफगानिस्तान आखिरी

ग्लोबल एज वॉच इंडेक्स में उत्तरी अमेरिकी देशों की स्थिति भी अच्छी है. कनाडा पांचवें स्थान पर है तो अमेरिका आठवें स्थान पर. आबादीजन्य कारणों से बुजुर्गों की बढ़ती संख्या का सामना कर रहे दक्षिण अमेरिकी देशों की हालत भी इंडेक्स पर अच्छी है. वे चोटी के 30 देशों में शामिल हैं. वहां 2050 तक आबादी दोगुनी हो जाने का अनुमान है. यूरोप के देशों में यूक्रेन (66), रूस (78) और मोंटेनिगरो (83) की हालत अच्छी नहीं है. सर्वे में शामिल देशों में सबसे खराब हालत अफगानिस्तान की है, जहां सरकार से बाहर काम करने वालों को कोई पेंशन नहीं मिलती. पुरुष औसत 59 साल जीते हैं और महिलाएं 61 साल, जबकि वैश्विक औसत 68 और 72 साल है.from dw.de

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