Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the js_composer domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
 बिहार : कोसी के कहर की सूचना पहले मिलेगी | dharmpath.com

Wednesday , 11 June 2025

ब्रेकिंग न्यूज़
Home » धर्मंपथ » बिहार : कोसी के कहर की सूचना पहले मिलेगी

बिहार : कोसी के कहर की सूचना पहले मिलेगी

पटना, 8 फरवरी (आईएएनएस)। कोसी की बाढ़ से हर साल बिहार के पूर्वी भाग में तबाही मचती है, लेकिन अभी तक बहुत ही कम आंकड़े उपलब्ध हैं ताकि कोसी की बाढ़ से बर्बादी का पूर्वानुमान लगाया जा सके और उस क्षेत्र में रहने वाले लाखों लोगों की जीविका को लोचदार बनाया जा सके। अब पर्यावरण सुधार और पर्वतीय विकास के लिए समर्पित काठमांडू स्थित एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने सूचना तंत्र स्थापित किया है जिससे इस खतरे को पहले ही आंका जा सकता है।

पटना, 8 फरवरी (आईएएनएस)। कोसी की बाढ़ से हर साल बिहार के पूर्वी भाग में तबाही मचती है, लेकिन अभी तक बहुत ही कम आंकड़े उपलब्ध हैं ताकि कोसी की बाढ़ से बर्बादी का पूर्वानुमान लगाया जा सके और उस क्षेत्र में रहने वाले लाखों लोगों की जीविका को लोचदार बनाया जा सके। अब पर्यावरण सुधार और पर्वतीय विकास के लिए समर्पित काठमांडू स्थित एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने सूचना तंत्र स्थापित किया है जिससे इस खतरे को पहले ही आंका जा सकता है।

इस संबंध में इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट के प्रोजेक्ट कोऑर्डीनेटर शाहरियार वाहिद ने आईएएनएस से कहा कि उनकी संस्था ने कोसी बेसिन सूचना प्रणाली स्थापित कर ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार किया है जो जलवायु परिवर्तन, भूमि के उपयोग, नदी डूब क्षेत्र में गाद के जमाव और जल आधारित जीविका से संबंधित आंकड़ों को संकलित करेगा। इससे यह पता चल जाएगा कि कोसी बेसिन में किस तरह के परिवर्तन हो रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह प्लेटफॉर्म उपग्रह प्रौद्योगिकी और राष्ट्रीय मौसम एजेंसियों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर 24 घंटे बाढ़ की चेतावनी देगी। उन्होंने कहा कि पिछले मानसून से नेपाल का मौसम विभाग बाढ़ की चेतावनी देने के लिए क्षेत्रीय बाढ़ के परिदृश्य को भी ध्यान में रखता है। वाहिद यहां दो दिवसीय कार्यशाला में भाग लेने आए थे।

विदित हो कि इस प्रोजेक्ट में नेपाल, चीन और भारत सहभागी हैं जो विगत दो वर्षो से जानकारी जुटाने में लगे हैं ताकि बेसिन में रहने वाले लोगों को संभावित आपदा से आगाह कर उनकी सहायता की जा सके।

उन्होंने कहा कि केबेआईएस के आंकड़ों का इस्तेमाल भारत, चीन और नेपाल जल, ऊर्जा, पर्यावरण और खाद्य से संबंधित विकासात्मक अनुसंधान में कर रहे हैं। केबीआईएस का मुख्य लक्ष्य आंकड़े जुटाना, सूचना साझा करना और शोधकर्ताओं, तकनीकी पेशेवरों और आम लोगों के बीच अंतर्विषयक सहयोग बढ़ाना है।

बाढ़ और उससे संबंधित आपदा कोसी बेसिन में रहने वाले लोगों की नियति बन गई है। पहाड़ पर बर्फ पिघलने और लगातार वर्षा होने से नदी का जल स्तर खतरनाक ढंग से बढ़ जाता है। बिहार में जहां कोसी गंगा में मिलती है उस क्षेत्र में तो स्थिति और भी भयावह बन जाती है। इतना ही नहीं उत्तर बिहार के करीब 76 फीसदी क्षेत्र पर लगातार बाढ़ का खतरा बना रहता है।

नतीजा है कि हर साल जान, माल की भारी क्षति होती है। बिहार आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आंकड़े के मुताबिक सन् 2014 में बिहार में 33,200 लोग विस्थापित हुए थे। वैसे कोसी नदी में दुनिया भर की सभी नदियों से अधिक गाद का जमाव होता है। यही वजह है कि इस क्षेत्र में बाढ़ का खतरा बना रहता है।

2008 में भारत-नेपाल सीमा के निकट कोसी पर बने बांध के टूटने से उत्तर बिहार के पांच जिलों में भयंकर बाढ़ आई थी जिसमें करीब 400 लोगों की मौत हो गई थी, तीस लाख लोग बेघर हो गए थे और 840,000 हेक्टेयर में लगी फसल बर्बाद हो गई थी।

बिहार : कोसी के कहर की सूचना पहले मिलेगी Reviewed by on . पटना, 8 फरवरी (आईएएनएस)। कोसी की बाढ़ से हर साल बिहार के पूर्वी भाग में तबाही मचती है, लेकिन अभी तक बहुत ही कम आंकड़े उपलब्ध हैं ताकि कोसी की बाढ़ से बर्बादी का पटना, 8 फरवरी (आईएएनएस)। कोसी की बाढ़ से हर साल बिहार के पूर्वी भाग में तबाही मचती है, लेकिन अभी तक बहुत ही कम आंकड़े उपलब्ध हैं ताकि कोसी की बाढ़ से बर्बादी का Rating:
scroll to top