गुड़गांव, 4 मार्च (आईएएनएस)। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने यहां शुक्रवार को आयोजित ज्ञान संगम में सरकारी बैंकों की आठ लाख करोड़ से अधिक की गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) से निपटने में सरकार की दृढ़ता का इजहार करते हुए कहा कि बैंकों को मजबूत करने के लिए और कोष उपलब्ध कराया जाएगा।
उन्होंने कहा, “मोटे तौर पर सरकारी और निजी बैंकों के कुल ऋण का करीब आठ लाख करोड़ रुपये एनपीए है।”
उन्होंने कहा, “अच्छी बात यह है कि एनपीए का आकार स्थिर हो गया है, हमें पता है कि वह कहां है और हमें पता है कि उससे कैसे निपटना है।”
आम बजट में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बैंकों के पुनर्पूजीकरण के लिए 25 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
मौजूदा और आगामी वित्त वर्ष में बैंकों में 25 हजार करोड़ रुपये (प्रत्येक वर्ष) डाला जाएगा। 2017-18 और 2018-19 में बैंकों में 20 हजार करोड़ रुपये (प्रत्येक वर्ष) डाला जाएगा।
सिन्हा ने कहा कि जरूरत पड़ने पर बैंकों में और भी पूंजी डाली जाएगी।
उल्लेखनीय है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस सप्ताह के शुरू में बैंकों की नियामकीय पूंजी आवश्यकता नियमों में कुछ बदलाव किए हैं, जिससे बैंकों की वित्तीय स्थिति और मजबूत होगी।
इस बारे में सिन्हा ने कहा, “एनपीए पर हमारी पकड़ और मजबूत हो गई है।”
आरबीआई ने मंगलवार को बैंकों को कुछ निश्चित शर्तो पर संपत्ति के पूनर्मूल्यांकन से होने वाले लाभ को अपने स्थायी पूंजी आवश्यकता में शामिल करने की अनुमति दे दी।
इसके साथ ही आरबीआई ने वित्तीय लेखा जोखा में विदेशी मुद्रा के रूपांतरित कर सामान्य शेयर पूंजी के रूप में गिनने की भी अनुमति दे दी।
आरबीआई ने कहा कि बैंकों को बैसल-3 मानक के और करीब ले जाने के लिए बैंकों की नियामकीय पूंजी दिखाने वाले फाइनेंशियल स्टेटमेंट के कुछ निश्चित मदों के दर्जे में बदलाव किया जा रहा है।
बैसल-3 पूंजी पर्याप्तता मानक पर खरा उतरने के लिए सरकारी बैंकों को 2018 तक अनुमानित 2,40,000 करोड़ रुपये चाहिए होंगे।
दो दिवसीय ज्ञान संगम में आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन, वित्तीय सेवा सचिव अंजुली चिब दुग्गल और वित्त मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शिरकत कर रहे हैं।
दुग्गल ने कहा कि बैंकों द्वारा वसूली के लिए नियमों का ढांचा जल्द घोषित किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “इसकी घोषणा शनिवार को हो सकती है।”