‘बैम्बूसेटम’ में लगाई जाएंगी बांस की 200 से ज्यादा प्रजाति भोपाल के लहारपुर में हो रहा तैयार कृषि एवं वनस्पति क्षेत्र की रिसर्च में भी उपयोगी
भोपाल-राजधानी भोपाल में देश का सबसे बड़ा बैम्बूसीटम यानी बांस गार्डन आकार ले रहा है। इस बैम्बूसेटम में बांस की विभिन्न प्रजातियों को एक ही जगह पर रोप कर एक एक गार्डन के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसमें बांस की 200 से देशी-विदेशी ज्यादा प्रजाति को रोपी जाएंगी जिनमें से अब 35 से अधिक प्रजातियां रोपी जा चुकी हैं। जुलाई तक 100 से अधिक प्रजातियों के बांस के पौधे इसमें रोपे जाएंगे। पूरी तरह तैयार होने के बाद यह देश का सबसे बड़ा बैम्बू सेटम होगा। वर्तमान में देश का सबसे बड़ा एक मात्र बैम्बू सेटम केरल के पीची में जहां एक गार्डन में बांस की 65 प्रजातियों के वृक्ष हैं। मप्र में बनने वाला यह सेटम दो साल में पूरा तैयार करने का लक्ष्य रखा है। मप्र राज्य बांस मिशन इस बैम्बू सेटम को तैयार कर रहा है।
- बांस एक हर्बल प्राचीन औषधि है जो हजारों सालों से एशिया में इस्तेमाल की जा रही है।
- अपने टॉनिक और कसेले गुणों के काारण बांस आकर्षक माना जााता है।
- बांस की लकड़ी का कोयला, बांस सिरका, बांस का रस, बांस बियर, बांस नमक एवं बांस चीनी स्वास्थ्य और औषधियों में इस्तेमाल की जाती है।
- बांस आबो-हवा बदलने में सर्वोपरि है।
- बांस के उपयोग से प्राकृतिक वनों को बचाया जा सकता है।
- बांस के पौधे बीज, कटिंग प्रयोगशाला में टिशू कल्चर तकनीक या कंद अर्थात् रायजोम से उगाये जा सकते हैं।
- बांस के फाइबर की एक अद्भुत विशेषता यह है कि वह नमी को अवशोषित कर त्वचा को शुष्क एवं ठंडा रखने में उत्कृष्ट है।
- बांस के रेशे तापमान को सहन कर सकते हैं।
- बांस की जड़ें भूमि एवं जल से धातुओं को अवशोषित कर प्रदूषण नियंत्रण करती हैं।