नई दिल्ली, 1 अप्रैल (आईएएनएस)। चीन के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान संस्कृति व पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने बुधवार को कहा कि बौद्ध धर्म भारत और चीन के बीच साझा सूत्र है और यही सांस्कृतिक इतिहास दोनों पड़ोसियों को आपस में जोड़ता है।
शर्मा ने कहा, “बौद्ध धर्म दोनों देशों को आपस में जोड़ने वाली ताकत है और भारत चीन के साथ साझा सांस्कृतिक संबंध को महत्व देता है।”
उन्होंने कहा, “इसी पृष्ठभूमि पर भारत चीन को आगमन पर वीसा सुविधा देने की संभावना पर विचार कर रहा है।”
शर्मा ने ये बातें चीन के धार्मिक मामले मंत्री वांग जुआन के नेतृत्व में आए छह सदस्यीय चीनी शिष्टमंडल के साथ बुधवार को नई दिल्ली में हुई मुलाकात में कही।
बैठक में संस्कृति सचिव रविन्द्र सिंह और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
वांग जुआन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चीन दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर विशेष जोर था। उन्होंने कहा कि उनके भारत आगमन का उद्देश्य दोनों देशों के बीच विशेषकर बौद्ध अध्ययन और विनिमय क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ाना है।
जुआन ने बताया कि शोध और बौद्ध अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए इस वर्ष अक्तूबर में चीन में बौद्ध फोरम का आयोजन किया जाएगा। दोनों पक्षों के बीच भारत और चीन में संयुक्त रूप से जुआंग जांग (ह्वेन सांग) पर एक प्रदर्शनी आयोजित करने पर सहमति हुई।
भारत ने चीनी मंचों पर भारतीय संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए वर्चुअल संग्रहालयों का आयोजन करने का प्रस्ताव भी रखा।
औरंगाबाद (अजंता/एलोरा) और दुन-हुआन (चीन) की गुफाओं की चित्रकला पर शैक्षिक कार्यो और शोध के लिए भारतीय पुरातत्व विभाग और राष्ट्रीय संग्रहालय के महानिदेशक चीन की यात्रा करेंगे।
शर्मा ने चीन से यह आग्रह भी किया कि यदि चीनी मंदिरों में कोई बौद्ध ग्रंथ उपलब्ध हैं तो उसे संस्कृत में अनुवाद के लिए भारत से साझा किया जाए।
संस्कृति सचिव रविन्द्र सिंह ने बताया कि हाल में ही शंघाई में बौद्ध कला पर एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था जिसे देखने के लिए तीन लाख लोग आये। संस्कृति मंत्रालय के नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट्स (एनजीएमए) द्वारा शीघ्र ही ग्वांनझाओ में आधुनिक कला पर एक प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा।