नई दिल्ली, 7 नवंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि भारत के कम से कम पांच केंद्रीय उच्चतर शैक्षणिक संस्थान (सीएचईआई) विश्व के शीर्ष 200 संस्थानों में शामिल हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि भारत को अनिवार्य रूप से एक उच्चतर शिक्षा गंतव्य के रूप में उभरना चाहिए। उन्होंने विश्वास जताया कि सीएचईआई अब अपने पंखों को नई ऊंचाई तक ले जाएगा।
राष्ट्रपति भवन में तीन दिवसीय कुलाध्यक्ष सम्मेलन के समापन पर शुक्रवार को राष्ट्रपति ने उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि वे उन पहल को पृथक करें जिनके लिए किसी कोष की आवश्यकता नहीं है और वैसी पहल जिनके लिए अतिरिक्त कोष की आवश्यकता है।
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, राष्ट्रपति ने कहा कि इनमें से कुछ हैं- पाठ्यक्रमों का नियमित अद्यतीकरण एवं संशोधन, नई पद्धतियों को अपना कर शिक्षण की गुणवत्ता में बेहतरी लाना, वैसी शिक्षा प्रदान करना जो छात्रों का चरित्र और मूल्य प्रणाली का निर्माण करें, मौजूदा बुनियादी ढांचे का बेहतर रख-रखाव और उपयोग।
उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर हम नए उत्साह के साथ उन पर काम करें तो इसका परिणाम काफी उत्साहवर्धक होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने सीएचईआई की प्रशासनिक संरचना में पूर्व छात्रों की भागीदारी में जरूर वृद्धि देखी है, लेकिन अभी भी प्रायोजित अनुसंधान, वृत्तियों, पदों की स्थापना, चंदा एवं संकाय नियुक्ति में उत्प्रेरण के जरिए आपसी मेल-जोल के क्षेत्र को विस्तारित करने के मामले में बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है।
उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से शीघ्र ही एक एकल खिड़की की स्थापना करने की अपील की जो सीएचईआई को मौजूदा प्रशासनिक एवं कानूनी प्रणालियों के अनुरूप समझौते करने में मदद करेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि अन्वेषक, उद्यमी एवं वित्तदाता एक अन्वेषक आर्थिक प्रणाली के तीन महत्वपूर्ण हिस्से हैं। ‘स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया’ के संदर्भ में उद्यमशीलता को एक नया आयाम प्राप्त हुआ है।
समापन सत्र में उपस्थित लोगों में केंद्रीय जहाजरानी, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी और रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर शामिल थे।