भोपाल, 20 जनवरी (आईएएनएस)। हैदराबाद में एक दलित छात्र द्वारा आत्महत्या किए जाने के बाद मध्य प्रदेश सकते में है, यही कारण है कि दलित-आदिवासी अफसरों के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाने वाले दो दलित भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अफसरों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चर्चा के लिए बुलाया है।
ज्ञात हो कि वरिष्ठ आईएएस अफसर और वर्तमान में बाल संरक्षण आयोग के सचिव रमेश थेटे और निलंबित आईएएस शशि कर्णावत राज्य सरकार पर जातिगत भेदभाव किए जाने का आरोप लगाते हुए मुखर हैं। दोनों ने आदिवासी-दलित फोरम और एक महाविद्यालय में आयोजित समारोह के मंच पर पहुंचकर सरकार पर जमकर हमले बोले थे।
थेटे का आरोप है कि उन्हें उनके पद के अनुरूप न तो काम दिया जा रहा है और न ही वेतन का लाभ। इतना ही नहीं उन्हें बदनाम करने के लिए लोकायुक्त का सहारा लिया जा रहा है। उन पर दर्ज हुए 10 मामलों में से नौ में उन्हें न्यायालय ने बरी किया है। उसके बाद उज्जैन में जमीन आवंटन के मामले में फिर उन पर प्रकरण बनाया गया है।
इसी तरह कर्णावत का कहना है कि उन्हें एक साजिश के तहत सिर्फ इसलिए परेशान किया जा रहा है, क्योंकि वे दलित हैं। उन पर वित्तीय अनियमितता का आरोप न होने के बावजूद कुछ लोगों ने साजिश रचकर उन्हें फंसाया है। इसके खिलाफ उनकी लड़ाई जारी हैं ।
थेटे और कर्णावत करीब दो वर्ष से मुख्यमंत्री चौहान से मुलाकात के लिए प्रयासरत रहे हैं ताकि अपना पक्ष उनके सामने रख सकें। दोनों अधिकारियों ने आईएएनएस से चर्चा के दौरान इस बात की पुष्टि की है कि उन्हें मुख्यमंत्री की ओर से चर्चा का बुलावा आया है। दोनों का कहना है कि वे मुख्यमंत्री चैहान के सामने सारे तथ्य रखेंगे और उन्हंे बताएंगे कि उनके साथ किस तरह से अन्याय हो रहा है।