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मप्र : हादसों के बाद जागती है सरकार!

May 8, 2015 6:17 am by: Category: सम्पादकीय Comments Off on मप्र : हादसों के बाद जागती है सरकार! A+ / A-

11210399_864027726996710_496200246968657557_nभोपाल- हादसा होता है, लोग मरते हैं, सरकारें शोक संवेदना के साथ मुआवजे घोषित कर अपने को सजग दिखाने की कोशिश करती हैं। मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में बस हादसे के बाद भी ऐसा ही कुछ हो रहा है। सरकार अपने सजग होने का प्रमाण दे रही है, मगर इसमें हर किसी को संदेह है।

पन्ना जिले में दो दिन पहले सोमवार को एक बस के खाई में गिरने के बाद वह आग की लपटों में घिर गई थी। बस में सवार 21 यात्री जलकर खाक हो गए थे। अवशेष तक पहचान के काबिल नहीं बचे। परिजन अपने प्रियजनों की किसी निशानी के लिए भटक रहे हैं, ताकि वे भरोसा कर सकें कि अवशेष उनके प्रियजनों के ही हैं।

हादसे में मृतकों की संख्या ज्यादा होने की एक बड़ी वजह बस में आपातकालीन दरवाजा न होना भी रहा है। बस दरवाजे की तरफ पलटी थी और आकिस्मक दरवाजा था नहीं।

12 व्यक्ति सिर्फ इसलिए बच गए क्योंकि उन्होंने आगे के कांच तोड़ दिए थे। हादसे ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि नियमों की किसी को परवाह नहीं है।

राज्य में इस तरह का यह पहला हादसा नहीं है। इससे पहले चित्रकूट में कामतानाथ परिक्रमा का हादसा, गुना में बस से बिजली का तार टकराने का हादसा, बड़वानी में दो बस कर्मियों के झगड़े में बस में आग लगने से कई मौतें, रतनगढ़ में एक बार नदी में अचानक पानी छोड़े जाने से 20 से ज्यादा लोगों के मारे जाने, उसके बाद रतनगढ़ में ही भगदड़ मचने से 115 से ज्यादा लोगों की मौतें हो चुकी हैं।

कई स्थानों पर पुलिया पर रेलिंग न होने की वजह से बस के नदी में समाने की घटनाएं हुई हैं। ये तो महज कुछ ऐसे प्रकरण है, जब हादसा हुआ तब सरकार ने सुरक्षा का वादा किया मगर हुआ क्या, किसी से छिपा नहीं है।

राज्य के परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने सभी परिवहन अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि वे बसों का परीक्षण करें और सुनिश्चित करें कि 32 सीटर बसों में एक दरवाजा व एक आपातकालीन खिड़की या दरवाजा हो, वहीं 54 सीटर बसों में दो दरवाजे और एक आपातकालीन खिड़की होने चाहिए।

सिंह ने आईएएनएस से कहा, “राज्य में सड़क परिवहन सेवा पूरी तरह निजी हाथों में है, लिहाजा उनका विभाग सुधार की कोशिश कर रहा है। सड़क पर दौड़ती बसों में तय नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी परिवहन अधिकारियों को सौंपी गई है। सात दिन में यह सुनिश्चिति कराने की जिम्मेदारी इन अधिकारियों की है। ऐसा न होने पर उनके खिलाफ थाने में प्राथमिकी दर्ज कर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।”

राज्य की सड़कों पर दौड़ती बसों में शायद ही किसी में आपातकालीन खिड़की या दरवाजे हैं। इतना ही नहीं दो दरवाजे की बसें गुजरे जमाने की बात हो गई हैं। पुरानी बसों में दो दरवाजे दिख जाते हैं।

परिवहन मंत्री सिंह ने बताया कि उनके विभाग में अमले की कमी है, यही कारण है कि आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल की कोशिश हो रही है।

उन्होंने कहा, “बस अड्डों को परिवहन विभाग के अधीन लेकर उनमें जीपीआरएस लगाए जाएंगे ताकि बसों पर नजर रखी जा सके।” राज्य में बस अड्डे फिलहाल नगर पालिकाओं के अधीन हैं।

पन्ना हादसे पर सरकार ने मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को 50 हजार रुपये और मामूली रूप से घायलों को 25 हजार रुपये मुआवजा घोषित किया है।

इसके अलावा परिवहन अधिकारी को निलंबित कर बस मालिक पर प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं।

कांग्रेस विधायक अजय सिंह का कहना है, “राज्य में सरकार की कारगुजारियों की वजह से हादसे रुक नहीं रहे। आरोपी दंडित नहीं होते। पीड़ितों को मुआवजा देकर, बड़ी-बड़ी बातें कर सरकार चेहरे पर लगी कालिख साफ करने की कोशिश करती है।”

पन्ना के बस हादसे के बाद सरकार ने यह बताने की कोशिश की है कि उसने इस हादसे को गंभीरता से लिया है। अब देखना होगा कि सरकार की यह गंभीरता सिर्फ बयानों तक ही रहती है, या सड़कों पर दौड़ती बसों पर लगाम कसती नजर आती है।

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