हरिद्वार, 26 जनवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने की जो पहल की जा रही है, उसमें हरिद्वार स्थित एक संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह संस्थान न सिर्फ अधिक पढ़ी-लिखी, बल्कि कम पढ़ी लिखी महिलाओं को भी इस दिशा में आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है।
सन् 1957 से गायत्री परिवार की जननी माता भगवती देवी शर्मा जी के नेतृत्व में समाज की इस आधी जनशक्ति को सशक्त और समर्थ बनाने के कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया था। तभी से महिला जागरण अभियान के तहत नारियों को शिक्षित, स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में निरंतर कार्य चल रहे हैं।
शांतिकुंज की महिला मंडल का प्रशिक्षण कार्य देखने वाली दुर्गा देवांगन का कहना है कि शांतिकुंज में निवास करने वाली अधिकतर महिलाएं छत्तीसगढ़, ओडिशा जैसे शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े राज्यों से आती हैं। उनका शिक्षण स्तर प्राथमिक कक्षा तक ही रहता है। लेकिन आज उनमें से अधिकांश महिलाएं संस्कृत में संस्कार की समस्त क्रियाएं करा लेती हैं।
गायत्री परिवार प्रमुख एवं महिला जागृति अभियान की संचालिका शैलबाला पण्ड्या कहती हैं कि वर्तमान शिक्षा में लड़कियों के शिक्षण पर तो जोर है, लेकिन नारियों की अंतरात्मा को जागरूक कर उनके गुण एवं कर्म और स्वभाव के अनुसार शिक्षण की आवश्यकता है, जिसे गायत्री परिवार द्वारा पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है।