न्यूयार्क, 26 सितम्बर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र में संबोधन के दौरान सुरक्षा परिषद में सुधार का मुद्दा जोरदार ढंग से उठाया। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस अंतर्राष्ट्रीय इकाई व संयुक्त राष्ट्र के महत्वपूर्ण अंग की प्रासंगिकता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि इसमें दुनिया को उचित प्रतिनिधित्व मिले, ताकि विभिन्न देश अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकें।
‘संयुक्त राष्ट्र सतत विकास सम्मेलन’ को हिन्दी में संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत के लक्ष्यों को भी रेखांकित किया। साथ ही उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से भी जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए एकजुट होने को कहा।
मोदी ने ऊर्जा पर निर्भरता कम करने पर जोर देते हुए एक ऐसी वैश्विक शिक्षा व्यवस्था तैयार करने की वकालत की, जिससे भावी पीढ़ी को पर्यावरण संरक्षण की सीख मिल सके, ताकि यह अक्षुण्ण बना रह सके।
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत के लक्ष्यों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वह ऐसी संस्कृति से आते हैं, जिसमें धरती को ‘मां’ कहा जाता है। बकौल मोदी, “वेदों में धरती को मां कहा गया है और हम सब उसकी संतान हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत अगले सात साल में अक्षय ऊर्जा क्षमता का 175 जीडब्ल्यू विकसित करेगा। इसके अतिरिक्त देश ऊर्जा दक्षता, पौधरोपण, कोयला कर, स्वच्छ पर्यावरण, नदियों की सफाई, कचरा से धन आंदोलन और सतत विकास पर भी जोर देगा।
उन्होंने केंद्र सरकार के वित्तीय समावेशन कार्यक्रम का भी जिक्र किया और कहा कि देश में 18 करोड़ नए बैंक खाते खोले गए हैं, जो गरीबों के सशक्तीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है।
मोदी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने सभी कार्यक्रमों के लिए समय निर्धारित किए हैं और महिलाओं के सशक्तिकरण पर जोर दिया है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ उनकी ऐसी की योजनाओं में से एक है।
प्रधानमंत्री के अनुसार, उनकी सरकार कृषि संकट को दूर करने, विनिर्माण क्षेत्र को पुनर्जीवित करने और बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में निवेश पर भी जोर दे रही है। साथ ही स्मार्ट सिटी बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जो पर्यावरण के अनुकूल और विकास का केंद्र होगा।