गौरव शर्मा
गौरव शर्मा
नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। खत्म होती यमुना नदी के लिए आशा की एक किरण जगती दिख रही है।
दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार एक ऐसा कानून बनाने पर विचार कर रही है जो यमुना को एक प्रदूषित नाले में बदल देने के लिए काफी हद तक जिम्मेदार कई प्राधिकरणों की बहुलता को खत्म कर देगा।
कानून दिल्ली सरकार को इस बात की इजाजत देगा कि वह राष्ट्रीय राजधानी में 48 किलोमीटर लंबी यमुना नदी को साफ रखने के लिए अलग से एक एजेंसी बना सके।
हिंदू आस्था में खास स्थान रखने वाली यमुना को बचाने में सबसे बड़ी दिक्कत इस काम में कई विभागों की भागीदारी है जो कई मौकों पर एक दूसरे से अलग मकसद के तहत काम कर रहे होते हैं।
एक सरकारी अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि प्रस्तावित विधेयक का नाम यमुना रिवर एंड फ्लड प्लेन डेवलपमेंट बिल हो सकता है।
विधेयक में यमुना के रखरखाव के लिए एक ही प्राधिकरण के गठन का प्रस्ताव होगा। इसका नाम यमुना विकास निगम लिमिटेड हो सकता है।
इससे जुड़े एक नोट में कहा गया है, “यह विधेयक नदी और इसके इलाके के विकास, सुरक्षा, सफाई, पुनर्जीवन और संरक्षण के लिए विशेष प्रावधान करेगा।”
फिलहाल यमुना के रखरखाव के काम में कई एजेंसियां लगी हुई हैं। इनमें से एक दिल्ली विकास प्राधिकरण है जिसका काम नदी के 22 किलोमीटर के इलाके की देखरेख करना है। इसके अलावा दिल्ली जल बोर्ड, सिंचाई विभाग, राजस्व विभाग और बाढ़ नियंत्रण विभाग भी यमुना की देखरेख में शामिल हैं।
अधिकारी ने कहा, “एजेंसियों की बहुलता यमुना की सफाई के जटिल काम को और भी मुश्किल बना देती है। एक एजेंसी बनाने का प्रस्ताव सही कदम है।”
अलग से प्राधिकरण बनाने से कई वित्तीय मुद्दे जुड़े हुए हैं। इसलिए विधेयक को दिल्ली विधानसभा से पारित कराने के बाद केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजना होगा।
यह कहने पर कि कहीं केजरीवाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच का विवाद विधेयक के रास्ते में न आ जाए, अधिकारी ने कहा कि यमुना के मामले में दोनों की सोच एक जैसी है। सच तो यह है कि विधेयक लाने का फैसला केंद्र और दिल्ली सरकार की बैठक के बाद ही हुआ है।