नई दिल्ली, 27 दिसम्बर (आईएएनएस)। भारतीय खेल जगत के लिए मौजूदा समय लीग युग के संक्रमण का समय है और मौजूदा वर्ष इससे सर्वाधिक ग्रस्त रहा, हालांकि यह संक्रमण भारतीय खेल जगत को समृद्ध करने वाला साबित हुआ और लीग स्पर्धाओं के आगमन ने क्रिकेट के वर्चस्व को तोड़ते हुए कई अन्य खेलों को लोकप्रियता दिलाई।
नई दिल्ली, 27 दिसम्बर (आईएएनएस)। भारतीय खेल जगत के लिए मौजूदा समय लीग युग के संक्रमण का समय है और मौजूदा वर्ष इससे सर्वाधिक ग्रस्त रहा, हालांकि यह संक्रमण भारतीय खेल जगत को समृद्ध करने वाला साबित हुआ और लीग स्पर्धाओं के आगमन ने क्रिकेट के वर्चस्व को तोड़ते हुए कई अन्य खेलों को लोकप्रियता दिलाई।
भारत में हॉकी, क्रिकेट, कबड्डी, बैडमिंटन, फुटबाल, मुक्केबाजी और टेनिस के लीग टूर्नामेंट कुछ-एक साल पहले ही शुरू हुए, वहीं इस वर्ष कुश्ती ने भी लीग युग में प्रवेश कर लिया।
भारत की मिट्टी से जुड़े इस पारंपरिक खेल के लीग टूर्नामेंट को भारी संख्या में दर्शक भी मिले और उन्हें देशी पहलवानों को विदेशी ओलम्पिक पदक विजेता और विश्व चैम्पियन पहलवानों के साथ दो-दो हाथ करते देखने का अवसर मिला।
देश के उदीयमान प्रतिभाशाली पहलवानों, बजरंग पुनिया, अमित दहिया, राहुल आवारे, अमित धनकर और रजनीश ने खास तौर पर दर्शकों का ध्यान खींचा, जबकि योगेश्वर दत्त जैसे प्रतिष्ठित पहलवानों ने भी दर्शकों को खूब मनोरंजन किया।
उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी भारत को हाल के वर्षो में कुश्ती में लगातार सफलताएं मिली हैं, जिसे देखते हुए कुश्ती के लीग टूर्नामेंट ‘प्रो रेसलिंग लीग’ (पीडब्ल्यूएल) को शुरू किया गया।
एक अन्य भारतीय पारंपरिक खेल कबड्डी के लीग टूर्नामेंट प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) का दूसरा संस्करण भी उतनी ही सफल रहा।
कुछ समय पहले तक जहां भारत के कबड्डी खिलाड़ियों को आजीविका के लिए नौकरियां तलाशनी पड़ रही थीं, वहीं पीकेएल ने उनके लिए नए दरवाजे खोल दिए और भारतीय प्रशंसकों के बीच प्रतिष्ठित भी किया।
भारतीय टेनिस प्रशंसकों को भी रोजर फेडरर और राफेल नडाल जैसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को खेलते देखने का मौका मिला।
इंटरनेशनल प्रीमियर टेनिस लीग (आईपीटीएल) के दूसरे संस्करण में दोनों खिलाड़ी दिल्ली के इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम में एकदूसरे को चुनौती देते नजर आए।
आईपीटीएल की भारतीय फ्रेंचाइजी और पहले संस्करण की चैम्पियन इंडियन एसेज को टिकटों की बिक्री से होने वाले मुनाफे में 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
पिछले वर्ष बहुत धूम-धड़ाके के साथ शुरू हुआ फुटबाल लीग टूर्नामेंट ‘इंडियन सुपर लीग’ (आईएसएल) भी इस वर्ष उतना ही लोकप्रिय रहा। आईएसएल को भारतीय फुटबाल में नई जान डालने वाला माना जा रहा है।
हालांकि क्लबों द्वारा अधिक से अधिक विदेशी खिलाड़ियों पर भरोसा दिखाने के कारण इसका अब तक घरेलू फुटबाल खिलाड़ियों को उतना लाभ नहीं मिल सका है।
लेकिन टूर्नामेंट के रोमांच में इजाफा देखने को मिला। पिछले वर्ष जहां आईएसएल में कुल 129 गोल हुए थे, वहीं गोलों की यह संख्या इस वर्ष बढ़कर 186 हो गई। पिछले वर्ष जहां भारतीय खिलाड़ियों ने कुल 27 गोल किए थे, वहीं इस वर्ष भारतीय स्ट्राइकरों के पैर से 48 गोल निकले।
आईएसएल-2 में चेन्नइयन एफसी नया चैम्पियन बनकर उभरा।
हालांकि आईएसएल का भारत के आधिकारिक लीग टूर्नामेंट ‘आई-लीग’ पर प्रतिकूल असर भी देखने को मिला, जिससे कई फ्रेंचाइजियों ने मुंह मोड़ लिया।
क्रिकेट के वर्चस्व वाले भारतीय खेल जगत में यह सिलसिला इसी वर्ष से थमने वाला भी नहीं है। उम्मीद है आने वाले वर्षो में मुक्केबाजी, टेबल टेनिस, स्नूकर जैसे कुछ और खेलों के लीग टूर्नामेंट शुरू हो सकते हैं।