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संयुक्त राष्ट्र : शांति, सतत विकास में गांधी की प्रासंगिकता रेखांकित

संयुक्त राष्ट्र, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। अंतर्राष्ट्रीय शांति और सत विकास की आज की दोहरी प्राथमिकता के लिए महात्मा गांधी की शास्वत प्रेरणा की संयुक्त राष्ट्र में सराहना की गई। मौका गांधी जयन्ती को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाने का था।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने कहा, “आज बढ़ते संघर्षो, बढ़ते चरमपंथ, बड़े पैमाने पर विस्थापन और तेजी से बढ़ती मानवीय जरूरतों के समय में महात्मा गांधी का अहिंसा के प्रति समर्पण हम सबके लिए एक उदाहरण है। सतत विकास के लिए नया 2030 एजेंडा भी दुनिया में शांति और सुरक्षा बढ़ाने में मददगार हो सकता है।”

साबरमती आश्रम की यात्रा को याद करते हुए बान ने कहा कि वहां लिखी गांधी की उक्तियां लोगों को दूसरों की हत्या की जगह खुद को दूसरों के लिए मर-मिटने की सीख देते हैं।

समारोह में बान ने भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र को भेट की गई महात्मा के एक चित्र का अनावरण किया। इस चित्र को चित्रकार रघुबीर दयाल पारिख ने बनाया है। दयाल स्वयं इस मौके पर मौजूद थे।

इस अवसर पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अध्यक्षीय भाषण देने वाली थीं, लेकिन बान ने कहा कि किन्हीं पारिवारिक कारणों से उन्हें स्वदेश लौटना पड़ा।

भारतीय विदेश सचिव एस. जयशंकर ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा, “भारत ने महात्मा गांधी के जन्मदिवस के अवसर पर अपने आईएनडीसी यानी ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की घोषणा की। यह सतत विकास में हमारी नैतिक प्रतिबद्धता को रेखांकित करने के लिए था।”

जयशंकर ने कहा, “हमारे समय में हमने धार्मिक कट्टरपन और असहिष्णुता को देखा है। कई मामलों में इसने सीधे तौर पर आतंकवाद को बढ़ावा दिया है। दुखद है कि दुनिया ने आतंकवादियों द्वारा हमले में निर्दोषों को मारने पर यह कहकर मुंह मोड़ लिया कि यह हमारा मामला नहीं है। पूरे विश्व को एक मानने और नैतिक साहस को महत्व देने वाले गांधी सबको इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए कहते।”

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष मोगन लिकेट्टोफ ने गांधी के शब्दों ‘अहिंसा सबसे बड़ी ताकत है’ को दोहराते हुए कहा, “ये शब्द संयुक्त राष्ट्र के घोषणा पत्र और विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने के संयुक्त राष्ट्र की कोशिशों के अनुरूप हैं।”

मोगन ने कहा कि महासभा के वर्तमान अधिवेशन के समय गांधी के सिद्धांतों को हकीकत में अमल में लाने का सुनहरा मौका है। एक सप्ताह पहले अपनाए गए सतत विकास के नए लक्ष्य और जलवायु परिवर्तन के लिए प्रयासों की पहल दर्शाती है कि गांधी ने सार्वभौमिकता की जो सीख दी थी, वह हकीकत में हो रही है।

मोगन ने कहा, “धरती और उसके निवासियों की भलाई के लिए आइए हम सब मिलकर काम करें।”

खुद को गांधीवादी बताने वाले बंग्लादेश के वित्तमंत्री अबुल माल अब्दुल मुहिथ ने कहा कि यद्यपि उनके पिता मुस्लिम लीग के एक नेता थे, लेकिन वह बतौर युवा गांधी से बेहद प्रभावित थे।

मुहिथ ने कहा कि आज के समय में गांधी को प्रौद्योगिकी और जीवनशैली का दखल शायद पसंद न आता, लेकिन आज शांति को लेकर व्याप्त चिंता पर वह जरूर प्रभावित होते।

दक्षिण अफ्रीका के स्थायी प्रतिनिधि किंग्स्ले मैंबलू ने कहा गांधी के प्रभाव को उनके देश के संविधान में भी महत्व दिया गया। भारत और दक्षिण अफ्रीका विश्व शांति के लिए मिलकर प्रयास कर रहे हैं और करते रहेंगे।

बेलारूस के उप विदेश मंत्री अलेक्जेंडर मिखनेविच ने कहा कि उनके राष्ट्रपति ने अपने भाषण में गांधी के विचारों का समर्थन करते हुए और विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने के लिए देशों को चेतावनी देते हुए कहा था कि आंख के बदले आंख का सिद्धांत पूरी दुनिया को दृष्टिहीन बना देगा।

संयुक्त राष्ट्र : शांति, सतत विकास में गांधी की प्रासंगिकता रेखांकित Reviewed by on . संयुक्त राष्ट्र, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। अंतर्राष्ट्रीय शांति और सत विकास की आज की दोहरी प्राथमिकता के लिए महात्मा गांधी की शास्वत प्रेरणा की संयुक्त राष्ट्र में स संयुक्त राष्ट्र, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। अंतर्राष्ट्रीय शांति और सत विकास की आज की दोहरी प्राथमिकता के लिए महात्मा गांधी की शास्वत प्रेरणा की संयुक्त राष्ट्र में स Rating:
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