पटना, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता गिरिराज सिंह द्वारा एक साल पुराना एक वीडियो जारी कर इसे ‘ताजा’ बताने के ‘झूठ’ का समर्थन करते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने यहां शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि जब स्थिति बिगड़ती है तो कोई तंत्र-मंत्र काम नहीं आते। तंत्र-मंत्र से चुनाव नहीं जीते जाते।
वीडियो में एक तांत्रिक को नीतीश को गले लगाते और चूमते दिखाया गया है। यह वीडियो वर्ष 2014 का है, जब मुख्यमंत्री पद पर जीतनराम मांझी थे, नीतीश नहीं। गिरिराज सिंह ने इस पुराने वीडियो को ताजा बताते हुए शनिवार को ट्वीट किया, “लालू का शैतान उतरवाने नीतीश पहुंचे तांत्रिक के पास। नीतीश के बाबा बोले, ‘लालू मुर्दाबाद’।”
गिरिराज के इस ‘गेम’ से खुश जेटली ने पटना में एक संवाददाता सम्मेलन में दावा किया, “भाजपा अपने बूते बिहार में बहुमत तक पहुंचेगी और राजग के साथ बड़ी बहुमत हासिल करेगी।”
भाजपा के नेता क्या साधु-संतों, तांत्रिक-ज्योषियों के पास नहीं जाते? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि सहयोगियों के खिलाफ षड्यंत्र के लिए भाजपा के नेता कहीं नहीं जाते। उनका आशय मांझी के खिलाफ षड्यंत्र से था। इससे स्पष्ट है कि जेटली ‘मोदी विरोधियों को पाकिस्तान का रास्ता दिखाने’ की धमकी देने वाले गिरिराज सिंह के नए ‘गेम’ से पूरी तरह वाकिफ हैं।
भाजपा नेताओं में महागठबंधन का खौफ कितना है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री से लेकर जो भी केंद्रीय मंत्री बिहार पहुंचते हैं, वे सीधे नीतीश-लालू की दोस्ती पर ही प्रहार करते हैं। महागठबंधन की एकता से चिंतित जेटली ने कहा, “नीतीश जिसके खिलाफ 20 वर्षो तक बोलते रहे, जिन्हें सजा दिलवाई, आज अवसरवादी राजनीति के तहत उसी के साथ हो गए।”
नीतीश के विकास मॉडल को पुराना मॉडल बताते हुए उन्होंने कहा कि पहले पांच वर्षो के लिए प्रारंभिक विकास मॉडल सही था, लेकिन जब जद (यू) की नीयत बदली, तो विकास के अगले स्तर का नीतीश सरकार मॉडल पेश नहीं कर सकी। उन्होंने कहा कि भाजपा नई सोच, नई राजनीति के साथ बिहार में विकास देगी।
जेटली ने कहा कि नीतीश की न तो राजनीति स्थिर है और न ही विचारधारा।
केंद्रीय मंत्री जनरल वी़ के. सिंह के ‘कुत्ते’ वाले विवादित बयान पर प्रतिक्रिया मांगे जाने पर उन्होंने कहा, “वह सफाई दे चुके हैं और अपना स्टैंड भी साफ कर चुके हैं। माफी भी मांग चुके हैं। अब यह मुद्दा खत्म हो चुका है।”
दाल की महंगाई के मामले पर जेटली ने कहा, “दाल की पैदावार कम हुई है। फिर भी जहां से संभव हो पा रहा है, वहां से दाल मंगवाई जा रही है।”
उन्होंने आगे कहा कि कई राज्यों ने जमाखोरी के खिलाफ छापेमारी की और पिछले तीन दिनों में 50 हजार टन दाल बरामद हुई है। अगर बिहार सरकार भी अपने यहां छापेमारी करवाती तो यहां भी दाल की कीमत कम हो सकती थी।